वाणी बोलते समय प्रार्थना

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हमारी वाणी से दूसरों को दुःख हो जाता हो तब अपनी वाणी सुधारने के लिए हमें क्या उपाय करना चाहिए? अपने बरताव में कोई भी सुधार लाने के लिए हमें क्या उपाय करना चाहिए?
Transcript
00:00परकार से जो प्रॉब्लेम आते हैं
00:26तो प्रॉब्लेम के लिए हम उपाय के लिए भाई और वियवार नहीं मीठी करने हैं
00:32प्रार्टना सबसे सुक्ष्म उपाय है और भाव प्रार्टना बहुत कार्या कारी है
00:39कभी कोई व्यक्ति के साथ बास के साथ बात करनी है या कोई तेड़ी मेड़ी व्यक्ति है उसके साथ आर्ग्यूमिट हो जाते हैं जगड़े हो जाते हैं
00:47दादा जी बताते है कि भीतर वले शुदात्मा को प्रार्टना करके बात करो
00:52कि ये शुदात्मा को आमें भाई साहब का मन का समाधान हो जाये ऐसी बाणी बोलने की शक्ति दो
00:57प्रार्टना से दिरे दिरे ऐसा result मिलता है कि दोनों के विवार में टक्राव चले जाती है प्रेम और एक्ता बढ़ती है
01:06प्रार्टना का सुख्षम उपाय ऐसा है मुझे से बोलने की भी ज़रूरत नहीं
01:10वितर वाले शुदात्मा को direct phone करो request करो prayer करो कि वेरी इच्छा है दुख देना नहीं है मुझे
01:19समाधान हो जाये ऐसे विवार करने की शक्ति दो
01:22किसी के साथ हम कुछ भी बोलने गए उसको गलती समजता है अलगी समजता है गलत समजता है तो ये भी प्रार्टना कर सकते हैं कि ये शुदात्मा गण इसको अच्छी तरह समझा सको उसको क्या प्राबलेम है उसका सुलुषन कैसे दे सको
01:37ऐसी मुझे समझ दो मेरी पर कुरुपा करो कि मुझे ऐसी समझ आ जाए उसको समाधान प्राब्त करा सको
01:44तो ये प्रार्टना से आवरण तुटते हैं ऐसी समझ प्रगट होती है उसको समाधान मिलेगा हमारा व्यवार एकता वाला हो जाएगा जुदाई तुट जाएगी प्रार्टना में तो बहुत बड़ा बल है
02:00तो ये भीतर वाले उपाए हैं बाहिय उपाए तो कर ही डालते हैं मगर जब result नहीं मिलेगा तो भीतर का उपाए चालो करो हम व्यवार को तोड़ नहीं देना चाहते छोड नहीं देना चाहते मगर व्यवार रखना है
02:18मगर सुमेल बिठाना है एक दुसरे के साथ टकराव नहीं हो जाए ऐसे रस्ता निकालना है प्रार्टना से ये रस्ता निकलता है

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