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जाने या अनजाने में जीव हिंसा हो जाए तो उसका प्रतिक्रमण कैसे करें? पूज्यश्री दीपकभाई से जानते हैं की प्रतिक्रमण की विधि क्या है| मन-वचन-काया से किसी जीव को किंचित् मात्र दुख न हो, ऐसी भावना करनी है |
Transcript
00:00हमारे जीवन में जाने अन्जाने या ना चाहते हुआ हैं?
00:03जीन अनंत जीव जन्तू या छोटे पेड़ पोत्रों की
00:06हमारे दौरने या निमित्ते से उनको दुख या उनको मृत्ति हो गई हैं?
00:10तो उनका प्रतिकमन किस तरीके से करें?
00:13उसको क्या है कि नहीं?
00:15अच्छिली जो प्रसंग याद आये
00:17कि बच्पन में ऐसे चीटियों को मार डाला,
00:20चिपकली को मार डाला,
00:21खटमल को मारा, मच्छर को मारा,
00:23एक-एक प्रसंग को याद करके माफ़ी मांग लेने का,
00:25कि ये शुदात्मावगान अन्जान से, अग्यानता से हिंसा कर दी,
00:29जीव की आपको दुख पहुचाया, माफ़ी मांगता हूँ,
00:32मुझे एक शमा करो,
00:33और ऐसे गल्टी कभी नहीं करो, ऐसे मुझे शक्ती दो,
00:36दूसरा याद आये गया, उसको करो,
00:38तीसरा याद आये उसको करो,
00:40और पव्धे का, उसको बहुत important नहीं है,
00:43फिर भी पव्धे के, इन्हें कुछ ऐसे करते हैं,
00:46सबजी, बापजी करने के लिए किया,
00:48तो माफ़ी मांग लेने का,
00:49कोई जीवों की हिंसा हो गये, तो माफ़ी मांगते हैं,
00:52तकि जिन्दा जीव हैं, जो देव इंद्रिय, तीन इंद्रिय, चार इंद्रिय, पंच इंद्रिय हैं,
00:57वो जीवों की हिंसा का ज़रूर प्रतिकमन करो,
01:00चितने प्रसंग याद आये, एक-एक प्रसंग को याद करो,
01:02दो-पाँच मिनिट उसकी माफ़ी मांगो,
01:23पुछी शरी जैसे एक-एक जाती के बहुत सारे जीव रहते हैं,
01:26तो उनके भी किस तरीके से...