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आत्मा हमारा खुद का स्वरूप है, हम खुद ही हैं। तात्विक द्रष्टि से कोई फर्क नहीं है। आत्मा ही परमात्मा है। ब्रह्म ज्ञान या आत्मज्ञान, हरेक की व्याख्या हर कोई अपने अपने तरीके से करता है। जब आप इस जन्म में पूर्ण परमात्म पद प्राप्त कर लेते हो तभी आपको मोक्ष प्राप्ति भी उसी जन्म में हो जाएगी।

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