सामाजिक समारोह में दिया जल-पर्यावरण संरक्षण का संदेश, जूठा नहीं छोड़ने की अपील
गुड़ामालानी कस्बे में रविवार को आयोजित सामाजिक समारोह में कोशिश पर्यावरण सेवक टीम सांचौरी-मालाणी के कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण प्रदर्शनी लगाई। पानी की प्लास्टिक बोतलों की जगह तांबे के लोटों से जल सेवा कर जल बचाने का संदेश दिया। विवाह समारोह में भोजन का महत्व बताते हुए तख्तियां और बैनर लगा जूठन नहीं छोड़ने की अपील की।
''खाओ भले ही मण,जूठा नहीं छोड़ें कण '' बहुत ही प्रेरणादायक पंक्तियां
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री के के बिश्नोई ने टीम की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पर्यावरण संरक्षण बहुत ही जरूरी है। यह टीम पर्यावरण संरक्षण व मानव कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से जो सेवा दे रही है वो बहुत ही काबिल ए तारीफ है। भाजपा जिलाध्यक्ष अनंतराम बिश्नोई ने कहा कि इस टीम का संदेश ''खाओ भले ही मण,जूठा नहीं छोड़ें कण '' बहुत ही प्रेरणादायक पंक्तियां हैं। हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हमें भोजन का आदर करना चाहिए और जूठा नहीं छोड़ना चाहिए। टीम के प्रभारी किशनाराम बांगड़वा, सह-प्रभारी जगदीश प्रसाद विश्नोई, व्याख्याता अरमान कङवासरा, वगताराम भाम्भु, धोलाराम बिश्नोई, खंगाराराम नैण, बुधाराम कांवा, स्वर्ण जाणी, मोहनलाल कावां ने सेवाएं दी।
गुड़ामालानी कस्बे में रविवार को आयोजित सामाजिक समारोह में कोशिश पर्यावरण सेवक टीम सांचौरी-मालाणी के कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण प्रदर्शनी लगाई। पानी की प्लास्टिक बोतलों की जगह तांबे के लोटों से जल सेवा कर जल बचाने का संदेश दिया। विवाह समारोह में भोजन का महत्व बताते हुए तख्तियां और बैनर लगा जूठन नहीं छोड़ने की अपील की।
''खाओ भले ही मण,जूठा नहीं छोड़ें कण '' बहुत ही प्रेरणादायक पंक्तियां
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री के के बिश्नोई ने टीम की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पर्यावरण संरक्षण बहुत ही जरूरी है। यह टीम पर्यावरण संरक्षण व मानव कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से जो सेवा दे रही है वो बहुत ही काबिल ए तारीफ है। भाजपा जिलाध्यक्ष अनंतराम बिश्नोई ने कहा कि इस टीम का संदेश ''खाओ भले ही मण,जूठा नहीं छोड़ें कण '' बहुत ही प्रेरणादायक पंक्तियां हैं। हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हमें भोजन का आदर करना चाहिए और जूठा नहीं छोड़ना चाहिए। टीम के प्रभारी किशनाराम बांगड़वा, सह-प्रभारी जगदीश प्रसाद विश्नोई, व्याख्याता अरमान कङवासरा, वगताराम भाम्भु, धोलाराम बिश्नोई, खंगाराराम नैण, बुधाराम कांवा, स्वर्ण जाणी, मोहनलाल कावां ने सेवाएं दी।
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