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00:00महरशी भ्रेगु ने आपका अपमान किया, अनादर किया और आपने उन्हें दन देने के बदले उन्हें वर्दान दिया।
00:08देवी लक्षमी, महरशी भ्रेगु की योगिता और स्रिष्टा है ही ऐसी की।
00:14बस बस, रहने दीजिए, कम से कम मेरे सामने तो उनकी प्रशंसा न कीजिए।
00:20उन्होंने मुझे लात मारी है, और आप है कि उनके गुणगा रहे है।
00:25नहीं तो, ये कृपा तो उन्होंने मुझ पर किया है, ये देखी, उनका चरण चिन्ध।
00:33आप जहां संकेत कर रहे हैं प्रभू, वो आपकी छाती के बीचों बीच है। अर्थात वक्ष थल है, जो मेरा निवास थान है।
00:44महरशी भीगु ने आपके रिदय के बीचों बीच आपको लात मारी है।
00:49अर्थात उन्होंने मुझे लात मारी है। मेरा और आपका अपमान किया है। और उस पर भी आपने उन पर क्रोध नहीं किया।
00:57बल्कि उनकी स्थुति की। उनके चरण दबाए। उन्हें वर्दान दिया।
01:04यदि मुझे आपके अपमान होने की शंका ना होती प्रभू। तो मैं महरशी भीगु को उनके इस दुस्साहस का दंड जरूर देती।
01:13प्रिये।
01:15मत कही मुझे प्रिये। अब मैं आपकी बातों की भूल भुलेया में फसने वाली नहीं।
01:20मुझे तो लगता था कि आप मुझे से प्रेम करते हैं। कह रहे थे ना हम तुम्हारे बीने अधूरे हैं। तुम हमारी शक्ति हो,
01:30इसलिए श्रिश्टी वासी हमें लक्श्मी कांग कहते है लक्ष्मी पती कहते है।
01:36परन्तु अब मैं समझ गई हूं कि ये सब ढोंग है नाटक है नहीं लक्षमी तुम तो मेरा श्वास हो किसी दूसरे से कहीं ये सब येदि आप मुझसे इतना प्रेम करते होते तो महर्शी भ्रीगु द्वारा मेरा अपमान कदापी सहन नहीं करते अब मुझे विश्वास हो
02:06ऐसा नको लक्षमी मैं तुमसे केवल तुमसे प्रेम करता हूं प्रिये शमा कीजिए प्रभू परन्तु मैं अपमानित होने के बाद एक शंड भी आपके पास नहीं रह सकती मैं जा रहे हूं नहीं नहीं प्रिये लक्षमी ऐसा मत करो
02:33रुक जाओ लक्षमी रुक जाओ
02:36मत जाओ लक्षमी मुझे छोड़कर
03:03मत जाओ लक्षमी मुझे लक्षमी रुक जाओ
03:09झाल
03:10खर्वों बोग्स
03:31कर दो