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00:00नमस्ते, मेरा प्रश्न यहाँ है, कि माया आत्मा से अधिक शक्तिशाल क्यों लगती है, वो हमें उसकी तरफ ज़्याद़ क्यों खींचती है
00:18इसके लिए?
00:21मेरे लिए
00:22या आत्मा कह रही है कि माया ज्याद़ शक्तिशाल लिए
00:26आत्मा कह रही है
00:29यह यह उत्तर
00:36आपका घर है
00:43आप उस घर की रानी हो सकते हो
00:46तब है वहाँ पे चीज़ें जो
00:48आपको सच मुझ चाहिए
00:50और आप
00:55कि कुछ अभी गलतियां हैं
01:00कमजोरियां हैं
01:03वो आपके घर की बनावट
01:06और रख रखाव में भी दिखाई देती हैं
01:10तब अपना घर छोड़ के बाहर निकल पड़ो
01:13कि नहीं इस घर में तो
01:20मुझे जलील किया जाता है
01:24गंदगी चारों तरफ पड़ी रहती है
01:28मुझे अपमानित करने के लिए
01:31भले ही वो गंदगी हमारे अपने
01:35गंदे होने का प्रमान हो
01:37हमारे इगार है तो गंदगी पड़ी है तो और काहा से आ गई
01:41अब बाहर निकल पड़े
01:48घर में थे तो सब कुछ बड़ी है
01:49दर्वाजे भी बंद है सुरक्षा भी है
01:52सब कुछ है अपना कभ है रानी की तरह है
01:55बाहर निकल पड़े एक तेर्ज महीने का
01:57मरियल पिल्ला उसने दोड़ा लिया
01:59भर आप पूछें कि
02:02ये मरियल पिल्ला इतना
02:05ताकत वर क्यों हो जाता है
02:06मैं पूछूंगा किस के लिए
02:09जो घर में है
02:12या जो घर को
02:14फुकरा करके
02:16भटकते दर बदर फिरते
02:20कुछ हो नहीं जाता है
02:27इतनी बार बोला है
02:29सब कुछ चुनाव है
02:30आपके शब्दों के चैन में
02:33ये भाव है कि
02:35चीजें आप से बाहर है
02:37आपके शब्दों का चैन ही
02:40द्वैतात्मक है
02:41आप
02:42दो वास्त विक्ताओं को माननेता दे रही है
02:46एक मैं और एक बाहर है कुछ जो हो जाता है मुझे से स्वतंत्र, मुझे से अलग, मुझे से इंडिपेंडेंट
02:53तो दो सत्य बना दिये आपने, मैं हूँ एक और एक जो बाहर की घटना वो नहीं
02:58जो आपको बाहर होता दिख रहा है वो आपका चुनाओ है
03:03वो आपसे अलग नहीं है
03:05माया अगर आपको हावी होती दिख रही है
03:09तो वो कोई अबजेक्टिव इवेंट नहीं है
03:12वो कोई वस्तुगत घटना नहीं है
03:14वो आपका चुनाओ है
03:17तो बताइए
03:18आप आप गई आप कुर्टा खरीदेने की दुकान पर गई और आपनी ये लाल वाला खरीदा
03:28फिर आप मुझसे पूछें ये लाल वाला कुर्टा हरे वाले से जादा आकर शक्क्यों हो जाता है
03:35क्या जवाब दूँ, क्या लाल कुर्ते और हरे कुर्ते के पास चेतना है, क्या वो आपस में होड़ कर सकते हैं, क्या मैंने चुना, ना लाल कुर्ते और हरे कुर्ते से कोई उत्तर मिलेगा, ना मुझसे कोई उत्तर मिलेगा, चुनाओ करने वाला तो एक ही है कौन, पर कैसा �
04:05हो जाता है विपरीत परिस्थितियों में मैं इतनी कमजोर क्यों हो जाती हूं कुछ नहीं हो जाता है आपने चुना है आपने चुना है मत चुनो इतना जरूर है कि आपने इतनी ज्यादा बार चुना है कि अब चुनना नहीं पड़ता
04:26जैसे सिस्टम में आपके लैटॉप्स और गरह में होता है न
04:33जब ओ शुरू शुरू में आते हैं तो बात बात में आपसे इंपुट मांगते हैं
04:39यह चाहिए कि यह चाहिए कि यह चाहिए
04:43और 10-15 दिन बाद वो जब देख लेते हैं कि आप कौन सी चीज बार-बार चुनते हो, तो वो उनकी default setting बन जाती है, फिर वो आप से पूछते भी नहीं कि ये चुनना है कि नहीं चुनना है, फिर वो अपने आप होता है, तो अच्छा laptop हो, उसमें आप एक खास level हो brightness की, आप �
05:13जो read कर लेगा कि ये बार-बार 7 by 10 brightness को चुनते हैं, तो 8-10 दिन बाद ऐसा होगा कि आप laptop खोलेंगे और आप पाएंगे कि वो अपने आप ही 7 by 10 पे set है,
05:28कई बार तो एक dialogue box आता है, जिसमें लिखा रहता है, do not ask me again, आप उसको भी tick कर देते हो, उसको tick करके आपने खुद अपने चुनने का अधिकार थोड़ दिया, surrender कर दिया, और फिर आप कहते हो, but I have no choice, no, you have choice, you have forfeited it, but still it remains, settings में जाओ,
05:56इसी हो कहते हैं, अपने भीतर प्रवेश करना, अपने भीतर जाओ, तुम पाओगे कि system ने जो default settings पकड़ ली हैं, उनको अभी भी बदला जा सकता है, अभी भी बदला जा सकता है, आपने एक खास तरह की बोर्ट सेलेक्ट कर लिया, वही की बोर्ट बार बार आएगा, ज�
06:26और font size तक, सब कुछ चुना किसने है, आपने, और आप भूल गया आपने चुना है, क्योंकि आपने बहुत बार चुन लिया है, अब चुनने की ज़रूरत, लेकर इसका मतलब यह नहीं है कि कभी भी आपके चुनने का अधिकार छीना जा सकता है,
06:47जस दिन आप कह दो, मैं उब गई, इन सेटिंग्स के साथ तो मुझे आगे बढ़ना ही नहीं है, उड़ा भीतर खुसना पड़ेगा, उड़ा समय लगाना पड़ेगा और बदल दोगे, शर्म की बात है, आलस बस जादा हो जाता है, और कई ऐसी खतरनाक एपस होती है, उ�
07:17उसके बाद आप उसका नोटिफिकेशन बंद भी करना चाहो, तो बाई डिजाइन आपको ऐसी ऐसी गलियों से गुजरना पड़ेगा भीतर जाकर, तब जाकि उसका नोटिफिकेशन आफ होगा, कर लो उतनी मेहनत भी, मैंने गलत आइडिया तो नहीं दे दिया लोगों को
07:47तो मैं क्या जवाब दूँ इस सवाल का कि, मेरे फोन में इतना बड़ा बड़ा फॉन्ट क्यों आता है, क्यों आता है, पर मैंने तो नहीं चुना, मैं तो खोलती हूँ आ जाता है, क्या जवाब दूँ, तो ने पहले चुना और बहुत समय तक तुम उसी चुनाव को दोर
08:17पकड़ लिया है और डिफॉल्ट बना दिया है तो वही बार-बार होता है तो अगर बुरा लग रहा है तो बदलो किसी और से बोल के क्या होगा
08:23किसी और से बोल के क्या होगा
08:26आपको मालू में एक ही ब्रैंड का
08:30आप कहतो अब फोन बेकार हो गया फोन ही बेकार है फोन ही बेकार है
08:34आप नया फोन ले आओ और उसी ब्रैंड का गर ले आए
08:39आप जब उसमें से उसमें अपना सब ट्रांसफर करते हो
08:43तो वो आपकी पुरानी प्रेफरेंसेज भी ट्रांसफर कर लेता है
08:46जाके पैसा खर्च करके
08:49पचाहजार लाख रुपया खर्च करके नया फोन ले आए
08:51बोले पुराना वाला सस्ता था बात नहीं बंगती
08:55कम से कम लाख का हो
08:56क्या होगा
08:59उसमें भी उतनी बड़ा फॉन दिखाई देगा
09:02कि भीतर से तो उसने वही साब उठा लिया जो पहले भीतर था
09:11अब क्या करें
09:13मेरी ना इसमें बड़ी गंदी गंदी तस्वीर है मेरा लेप फॉन में
09:25मैं जब कॉलेज में था तो मेरी रैगिंग करी गई थी और रैगिंग वाली फॉटो खींचके
09:29मेरे फॉन से खींचके
09:30इसमें सेव कर दी गई थी
09:33तो बहुत नहीं वह फॉटो ना बार-बार आ जाती है
09:36ये दिखा देता है
09:38सेम डे टेन यर्स बैक
09:41ये बड़ा धक्का सा लगता है
09:45दर्द होता है
09:46अच्छा तो क्या करना है बोला ने फॉन ले आओंगा दूसरा
09:49फॉन ले आए
09:51सारा डेटा उसमें ट्रांसफर कर दिया
09:53पहले इतनी बड़ी स्क्रीन थी अब इतनी बड़ी स्क्रीन का लाए
09:55पहले जो नहीं भी दिखता था फोटो में
09:58अब वो भी दिख रहा है
10:00फोन बदलो नहीं
10:06फोन के भीतर घुज जाओ और डिलीट कर दो
10:09डिलीट करो
10:12तेंक ये
10:17सिस्टम्स कन्फिगर्ड होते हैं
10:27इस बात के लिए भी कि उनकी सेटिंग ऑल्टर करो
10:30तो रेजिस्ट करते हैं
10:33बीच में ही आपको इधर उधर कर देंगे
10:37कि प्रोसेस इनकम्प्रीट रह जाए
10:40हमें पता भी नहीं चलता कि हमारा सिस्टम
10:45ये क्या कर रहा है हमारे बावजूद
10:48हमें नहीं पता होता कि हमने कुछ क्यों बोल दिया
10:52आपको कैसे पता मैं रुक रहा हूँ
10:55और ये इतना अच्छा
11:00जीवन्त प्रयोग है लाइव डिमोंस्ट्रेशन है
11:03सुपर इंटेलिजन्स पर मैंने अगबर बात करी थी
11:17जानते हूँ यही होता है
11:19सिस्टम आप सोचते हो आप बना रहे हो अपनी चोईसेस से
11:23उच समय बाद वो सिस्टम अपने आप सेंटियन्ट हो जाता है
11:29वो आपको दरकिनार करके खुद आपके बहाफ पर एक्ट करना शुरू कर देता है
11:38आपको पता भी नहीं चलेगा कि सिस्टम ने चोईस कर ली आपके नाम पर
11:46अभी वैसा ही था
11:49सिस्टम बोल पड़ा आप नहीं बोले हो
11:51सिस्टम बोल पड़ा
11:59वोगि सिस्टम तो अपनी रक्षा करेगा न
12:01यह जो हो रहा है यह सिस्टम पर आगात है
12:05अन्दुनीन जो वेस्था है
12:07अब वो किसी और के सामने होती तो कहती गलत बोल रहो तुम्हारी बात सुननी नहीं है
12:14मेरे सामने तो बोलेगी बहुत बढ़ियां बात बोली धन्यवाद आपकी बात
12:19पर दोनों ही स्थितियों में उद्देश एक ही है क्या
12:24बात आगे बढ़ने न पाए
12:28रभी शत्षत नमन से मुझे समस्क्राय हो जाती है
12:32ये ऐसा साय है जैसे मैं तुम्हारी लंभाई तुम्हें पूरा नापे ले रहा हूँ
12:45उसके लिए जरूरी है कि तनके ख़ड़े हो
12:47और मेरा काम खराब करने के लिए फट से सर जुका दो शच्षित नमन
12:51शच्षित नमन करके बच रहे हो नपे जाने से
12:58नजुकाओ सर तो ना पलू तुमको
13:09मैं समवेदना रखता हूँ आप जहां से पूछ रही हैं मैं समझ रहा हूँ
13:12अब तो ऐसा लगता है कि सिस्टम में जैसे कोई विकल्प बचा ही नहीं है
13:17मैं कहा रहा हूँ विकल्प है
13:18है
13:19हाँ सिस्टम ने उसको बड़ी चालाकी से शुपा दिया है
13:24या थोड़ा इनेकसेसिबल बना दिया है
13:26आपके साथ हुआ है
13:28अंदर कोई फीचर है उसको एकसेस करना मुश्किल हुआ है
13:32पंदरा बीस मिनट लग जाते हैं कई बार खुजने में कि ये काम मुझे करना है करूं कैसे
13:36अथना वक्त हमारे पास होता नहीं
13:38तो हम कहते हैं अच्छा कल कर लूँगा समय निकाल के
13:41और कल करते करते दो साल चार साल बीच जाते है
13:44और जैसा सिस्टम सेट है वैसे ही चलता रहता है
13:48ये चलाकी होती है
13:50ठीक वैसे जैसे आपके वासे एक संदेश आया था ना
13:56माया कभी ये नहीं कहेगी कि गीता छोड़ दो
14:01वो बस ये कहेगी कि
14:02registration टाल दो
14:04टाल दो
14:08पर टालते टालते टालते टालते
14:10ठीक वैसे ही जो भीतरी विवस्था है
14:15वो अपने बदलाव को कठिन बना लेती है
14:18ताकि आप बदलाव को टाल दे
14:21पर टालते टालते जीवन बीच जाता है
14:24कभी भी बदलाव आने नहीं पाता
14:26जो लोग धुन के पक्के हैं जानती हैं वो ये तक थोड़ा थोड़ा याद कर पाते हैं
14:36कि मेरे व्यवहार की जो वर्तमान व्यवस्था है वो मोटे तौर पर मैंने कब सोखी थी
14:45क्योंकि आप पैदा तो ऐसे नहीं हुए थे ना आप कह रहें माया हावी हो जाती है सचकी अपेक्षा आप पैदा ऐसे हुए उज़रूरी नहीं है
14:53आपका जो भी विवहार है आप जिस तरीके से चलते हैं सदा से तो ऐसे नहीं थे ना
15:00मैं किया रहा हूँ जो धुन के पक्के लोग होते हैं वो लोड डाल कर दरूरी नहीं है कि याद आ जाए
15:05और कुछ-कुछ याद भी आने लग जाता है
15:09ये घटना हुई थी और इस घटना के बाद मेरे सिस्टम ने ये डिफॉल्ट सेटिंग पकड़ ली
15:14ये याद तक आ जाता है
15:16बहुत पुरानी बात होगी बच्पन की तीन साल की तो नहीं याद आएगी
15:20पर जवानी की बात है या हाल की पाश्दस साल की बात है तो वो याद भी आ जाता है
15:26इस दिन के बाद से मेरा चेहरा ही बदल गया
15:29इस दिन के बाद से मेरा पूरा सिस्टम ही अलग तरह का हो गया
15:35और यह मैंने स्विकार किया था
15:43अगर मैंने स्विकार किया है तो
15:45मैं स्विकार भी कर सकती हूँ न
15:48वेदान्त इसी लिए आपके सशक्ति करण का दर्शन है
15:55उन्हें कहता कि प्राठना करो कोई आस्मानी ताकत आके जिन्दगी बदल देगी
16:00एक शब्द पकड़ता है चुनाव
16:02कहता है तुम्हारे ही चुनाव से तुम्हारी दुरगती हुई है
16:05और तुम्हारा ही चुनाव तुम्हारा कल्यान करेगा
16:08कोई बहारी ताकत आ करके तुम्हारा उद्धार नहीं करने वाली
16:12किसी ने तुम्हें परेशान करने की साज़े शरची ही नहीं है
16:18तो कोई फिर तुम को बचाएगा भी कैसे
16:22तुम्हारा जो कुछ भी है वो बस तुम से है
16:28ये कितनी ज्यादा empowering बात है न, नहीं है, और इसी लिए विदान बहुत पचलित नहीं हो पाया, ज्यादा तर लोगों में इतना प्यार नहीं होता, कि इतनी ताकत अपने दिल में रख पाएं,
16:53ज्यादा तर लोगों को अपनी लाचारगी, बेचारगी ज्यादा पसंद होती है, और ये भी और रिखा, निर्णा ही होता है, गलत निर्णा मत करो,
17:14विदान्त कुछ सिखाता है, और सिखाने के बाद बस वो आग्रह करता है, यहां तक कह सकते होगी प्रार्थना करता है, यह बता दिया, लेकिन ये भी बता दिया, कि हम तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, जो करना है, तुम्हें ही करना है, तो हम बस आग्रह कर सकते
17:44जिन लोगों को धर्म का वो स्वरूप पसंद है जिसमें कोई आकाशिय शक्ति आ करके उपर से उपहार आप पर बरसा देती है या कम से कम आशिरवाद
18:00बिदान तो उनके पले ही नहीं पड़ता।
18:03वो कहते हैं कि सब हमें ही करना है तो फिर हाथ किसके आगे जोड़ें पिर क्या ज़रूरत है पुजा प्रार्थना भजन आरती की।
18:12उनके देखे धर्म है ही इसलिए कि हमें न करना पड़े दूसरा कर दे और दूसरा भी क्या कर दे
18:21जो हम चाहते हैं पहली बात तो दूसरा करे दूसरी बात करे वो जो
18:29अगर दूसरे को ही करना है तो दूसरा तो फिर करी रहा है जो वो करता है तो उसके पास क्या फर्याद लेगे गए हो
18:46फर्याद यह नहीं होती कि आप कर दीजिए फर्याद ही होती है करिए आप पर हमारे मताबिक
18:52यह है लोगधर्ग बड़े पपा कर देंगे और वैसा कर देंगे जैसा हम जाते है विदानत कहता है बड़े पपा है और यहीं है
19:11और जो तुम छोटा जुन्नू बन के घूम रहे हो यह माया है तुम वो हो नहीं तुम ही बड़े पपा हो
19:16बड़े पपा को खोजने में भूल नहीं है वही फकीर वाली बात
19:24तुम बस उनको गलत जगह खोज रहे हो
19:29वहाँ नहीं मुझ को कहा ढूंडे रहे बंदे
19:32मैं तो तेरे पास में
19:34जिसको तुम ढूंड रहे हो कहीं इधर उधर आसमान में
19:37यहाँ वहाँ पहाड में नदी में पागल बना रहे हो अपको यही है
19:42तुम ही वो हो बस तुम अपनी सच्चाई और अपनी ताकत के उपर
19:49कुंडली मार के बैठ गए हो साब की तरह
19:51पुराना चलता था नहीं प्राचीन खजाना था
19:55इस पे साथ सिरों वाला एक विशैला विशधर मनिधर बैठा रहता था
20:04वही हम हैं इतने संदर लग रहे हो
20:08अपने यह उपर बैठे हुए कुंडली मार के अपनी ही जिंदगी बरबात कर रहे है
20:15और तुर्राइये की इल्जाम दूसरों पर दे देते हैं ऐसा क्यों हो जाता है
20:23इसमें क्या छुपी हुई यह बात कि किसी और ने किया किसी ने ने किया आपको चुना हुए
20:30अब आप थैंक्यू बोल सकती है
20:36अब नहीं बुलेंगी
20:45अब आपको चुना हुए