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00:00कि नाम अचार जी मेरा नाम विकासुआ सर मैं राची जहारकंट से हूँ और पिछले 11 महने से मैं आपको सुन रहा हूं मेरा प्रस्ट सर आज के सतर से रिलेटेड है जो आप में ये सर बोला है कि जब केंद्र बेचैन है तो उसकी कल्पना भी और अधिक बेचैन होगी
00:23और इसमें कि हम बेचैनी को परकपरक के ही चैन मिलेगा तो क्या सर हम लोग है ना ऐसे ही क्या चैन ही बेचैन है फिर इस तरह से कह सकते हैं और इसी तरह मतलब हम लोग बेचैनी में ही हम लोग का मतलब ये जीवन काल जो है वो समाप्त हो जाएगा
00:40क्योंकि जैसे मन्लग्डियम इस से पूच रहे हैं
00:44कि � language जयसे पहले जमांब
00:45आपको आज से पहले सुना करके थे
00:46तब भी हम बड़एनी थे लेकिन आज बस वह है
00:49न तल बदल गया है बेचैन आज भी है हम लोग वह
00:52चैन नहीं मिल रहा है तो क्या जो हमारी आज
00:55डेट में बेचैनी है जिस तल पे वही चैन है
00:58वही अगर चैन है तो फिर तो सब समाप्त हो गया ना सब रुख गया
01:03सब आपके चुनाओं की बात है
01:11आपको क्या मिलेगा क्या नहीं मिलेगा ये मैं नहीं तै कर सकता
01:17कोई नहीं तै कर सकता ये आपको ही तै करना है
01:20बेचैनी जितनी गहरी होती है
01:25वो अपने लिए उतने ही उचे चैन की कलपना कर लेती है
01:34बेचैनी जितनी कुरूप होती है
01:37वो अपने लिए उतने ही सुन्दर चैन की कलपना कर लेती है
01:42उसमें आकरशन होता है
01:48उस आकर्षण के सामने घुटने टीकन है कि नहीं, वो आपका चुनाव है?
01:59हाँ, वो तो चुनाव तो है, लेकिन सब्सक्राइब वही बीश में दो रास्ते होते हैं,
02:04कि आकर्शन तो रहता है बोठना एक बहुत बड़ा जान के लिए हो सकता है बट बेचैन भी � होता है
02:19क्या बोलने चाहते हैं साफ बुले है
02:24जैसे सर मांने जैसे कि अभी है ना एक एक्जाम्पल के तौर पे लेते हैं जैसे आज से एक आरा मैंने पहले जैसे हम आपको पहले यूटूब के माद्यम से सुना करते थे आज हम आपके सतर को जॉइन किये बहुत सारे चीजों में है ना एक
02:43क्लारिटी आया क्लारिटी आने के बाद है ना धीरे से है ना एक तल तो बदला ही है लेकिन तल के बदलने के बाद ऐसा आज के रेट में फील होता है कि हाँ यह तल तो बदला है और उसमें जो भी चीजे आ रही है उसके साथ भी है ना वो बेचैनी है कुछ ना कुछ तो आ�
03:13हमां है था थोक्ति यह बिचानी ही एक तरीके से श्याणड का रोम मजिए अ में असवर हैं bakalım उपर बढ़ रहे
03:22हैं बेचानी में जो बेहोशी हैं वो कम होती जा रही है कि निजह मुझ रहोज़ी कम हो
03:31पहतर देख पाएंगे कि हाँ, ब्योकूफी हो रही है, हो रही है, हो रही है, हो रही है, मुक्ती एक सतत क्रक्रिया है, जो आखिरी सांस तक चलती है, तो भी ऐसा नहीं होगा कि अब जो मेरे पास है, वही सरुशेष्ठ है और अंतिम है,
03:56जो होगा उससे लगातार आगे बढ़ते रहना होगा
04:0311 महीने नहीं 11 साल नहीं आप 110 साल जी गए तो 110 साल
04:08इसका मतलब वही है कि सर जो बेचैनी और चैन के पीश में एक बेहोसी है
04:17उसका लिमिट है न हम लोगों का कम होता जाएगा
04:19जैसे भी आप कहना चाहें
04:23जैसे भी कहना चाहें
04:25नींद होती है न
04:28तो बहुत गहरी नींद होती है
04:32कम गहरी नींद होती है
04:34अध जगे होते हैं
04:37फिर जग जाते हैं कई बार तो भी थोड़ा सा हलकी खुमारी होती है
04:40और फिर एक होता है संपूर्ण जागरण
04:43वे डिग्रीज होती है न
04:46दर्द भी वैसे ही होता है
04:51एक दर्द इतना गहरा होता है कि भेहोश हो जाए
04:55एक दर्द होता है कि बस छीख रहे हैं
04:58एक दर्द होता है कि चल नहीं सकते पड़े हैं
05:01एक दर्द होता है कि है दर्द पर काम कर रहे हैं
05:04एक दर्द होता है कि पता ही सिर्फ तब चलता जब थोड़ा ध्यान दोनी तो है दर्द
05:09डिग्री इस होती है
05:11तो उस डिग्री को सरक्न करडेगा मतलब किया यह तरक और कुटर करते
05:20अगे क्या आता है क्यानी आता है न पता न उसका कोई भरोसा दिलाया जा सकता है
05:34अभी आप जहाँ पर हैं आप अपने लिए जो जो गड़्वडियां कर रहे हैं जो जो जो
05:45पंधन तयार कर रहे हैं, उनको खुद ही देखिए ध्यान से, आपके सब सवालों में भविश्य का अश्वासन मांग रहे हैं आप, आपकी अभी जो स्थित्य है उस पर पूरा ध्यान दीजिए, और उससे बहतरी क्रमशह ही होगी,
06:09अचानक से कोई चमतकार नहीं हो जाना, किसी दिन कोई चमतकार नहीं हो जाना।
06:39के जोर का पता नहीं होता, आप मेरे पास आएं, मैं आपको बोलूँ कि आपको बून मैरो का कैंसर है,
06:57मैं कहूं कि कल ये कुछ आप और टेस्ट सें ये करा के लाइए, और अभी के लिए ये गोली ये ले लीजिए, और आप कहें, अच्छा गोली दे दिये, तो कल सुबह तर ठीक हो जाएगा ना,
07:16का मतलब क्या है, मतलब है कि आप अपने मर्ज की गहराई से परिच्चित ही नहीं है, आप समझ ही नहीं रहे हैं कि बून मैरो कैंसर क्या होता है,
07:30जो समझेगा वो कहेगा मेरे लिए इतना ही काफी है, कि दर्द थोड़ा सा कम हो जाए, जिन्दगी थोड़ी सी बढ़ जाए,
07:44जो अध्यात में आए और कहे कि धाई तीन घंटे में हो जाएगी मुक्ती, कोई क्रैश कोर्स है, कोई कॉंसिक्रेटेड वाटर हो गयरा हो, ऐसे छीका मार दीजिए तो जल्दी से हमारा काम हो जाए, इसका मतलब है वो समझ ही नहीं रहा, कि माया किस कैंसर का नाम है,
08:14तभी वो इस तरह की उम्मीदे रख सकता है कि यह यह,
08:25कैंसर तो फिर भी हो सकता है कि पूरे तरीके से क्योर हो जाए, माया पूरे तरीके से कभी नहीं होती, वो बस रेमिशन में जाती है, थोड़ा सा गड़बड कर दो, वापस आती है,
08:44वहाँ यह सब सवाल पूछना और दिन गिनना, या कैलेंडर के पन्ने पलटना कि चार महीने बीट गए, ग्यारा महीने बीट गए,
08:54बतलब माया को बहुत हलके में ले रहे हो,
09:02वह चूरन वाला खेल है, यह खेल ऐसे ही चलता रहा, तो बहुत जल्दी कहीं बाबा जी की चूरन ही चाट रहे हो गये,
09:22क्योंकि वहाँ पर तुरित समाधी लगती है, अभी दोनों लोटना शुरू कर देंगे,
09:52मुझे यह बड़ा मत्यदार लगता है, उन तीस साल के हो, चाली साल के हो, पचास साल के हो,
10:04जिन्होंने पचास साल तक बेवकूफ बनाया, उनसे कभी जाकर नहीं पूछते,
10:10यह तीस पचास साल बेवकूफ बनाया, और जो चीज देने का वादा करा था, वो कब दोगे, इतनी सारी बेड़ियां पहना दी, इतने दशकों में,
10:26और कहा था कि, बेड़ी पहन लोगे, वो अमरित बरसेगा, वो अमरित कब बरसेगा, उनसे कभी नहीं पूछते, और यहां आते ही बिलकुल ऐसे हिसाब किताब,
10:40देखिए जो पांच महीने हो चुके हैं, वो अनलाइटनमेंट अभी दग नहीं आया, पांच महीने, पूरे पांच महीने बीद गए हैं, नहीं, ग्यारा महीने, ग्यारा महीने हो गए, अनलाइटनमेंट नहीं आया,
10:53आओ और सूध समेत वापस मांगो ब्याज वाज सब कुछ कि 11 महीने हो गया
11:04enlightenment नहीं दिया
11:05विछवाड़े में मूली लगी हुई है कि उखाड़ लेंगे enlightenment है
11:12हाँ
11:18वहाँ तीस साल पचास साल में भी नहीं पूछने जाते
11:27और यहाँ 11 महीने में यहाँ
11:31टीटू की जान लेंगे क्या 11 महीने हैं बिता दिए
11:37बेकद्री है बस बेकद्री है
11:45बेकद्री है
11:48वहाँ हिम्मत ही नहीं पड़ेगी जाके पूछने की
11:57वहाँ जाके पूछने की हिम्मत ही नहीं पड़ेगी
12:05पंडित जी आपने इतनी बार कथा में बैठाया है
12:11और हर बार बोला है कि अब तुम्हारे उपर ये ये ये ये ये ये ये इनकी क्रिपा हो गई
12:17और मैं तो तब भी जुननू हूँ इतनी कृपा के बाद भी जाके पूछा कभी
12:24परिवार से माबाप से जहां से शिक्षा मिली है जहां से दुनिया भर के प्रभाव और संसकार पड़े हैं
12:37उनसे कभी जाके पूछा कि जो जो बाते बुली थी कि ऐसा करो ऐसा करो हमने सब करा हमें मिला क्या वहां कभी पूछते हो
12:49यहां के लिए अलग मानदंड होते हैं यहां के लिए अलग standards होते हैं ग्यारा महीने बीद गएं देखिए
12:57इससे ज्यादा एंक्लिस जॉब नहीं होता है
13:06इसमें सिर्फ एक तरीके से रा जा सकता है कि हसलो अपने उपर हसलो
13:16कोई आपको आपकी पूरी जिन्दगी बेवकूफ बनाए रहा
13:19आप उससे जा करके कभी सवाल नहीं करते
13:24आपको उससे कोई समस्या भी नहीं है
13:32सही बात तो यह है
13:34पर मैं आपको यह बता दूँ कि उसने आपको बेवकूफ बनाया है
13:42तो आपको मुझसे समस्या है
13:43मैंने बेवकूफ नहीं बनाया है
13:47मैंने सिर्फ बताया है कि उसने बेवकूफ बनाया है
13:50तो इसलिए आपको मुझसे समस्या है क्योंकि मेरे बाद ये आपको पता चल गया कि आप बेवकूफ हो
13:57बेवकूफ आप हमेशा से थे पर आपको ये कोई बताने वाला नहीं था कि आपको लगातार बेवकूफ बनाया जा रहा है
14:08तो आपकी गाड़ी मज़े में चल रही थी
14:11मैं विलेन इसलिए हूँ
14:15क्योंकि मैंने आकर के बता दिया है
14:19कि देखो भाई
14:21तुम्हारा रोज रोज बेवकूफ बनाया जा रहा है
14:27तो अब बड़ा क्रोध है
14:30जैसे मैंने बेवकूफ बनाया हूँ
14:34फिर इतना ही नहीं
14:38अब तुम्ही ने बताया था नहीं कि
14:44बेवकूफ बनाया है
14:47तो बताये हुए ग्यारा महीने बीच चुके हैं
14:51बता हो अभी बेवकूफ क्यों है
14:52अब मैं क्या करूँ
14:54यह ऐसी सी बात है कि कोई चला जा रहा हो
15:00स्कूटर पे बाइक पे
15:03जुन्नू
15:04उसको बोलो कि
15:07भाई तेरा स्टैंड उपर कर ले
15:10तो उपर भी ना करे और आगे जा करके गिर जाए
15:15और तुमसे बोले रुको रुको तुम्ही को मार रहे हो
15:20बोले जब तुने बताया
15:22तो फिर तुने स्टैंड उठा भी क्यों नहीं दिया
15:28क्योंकि हमें तो नहीं पता था कि स्टैंड रटका हुआ है पता किसको था
15:34तो जिम्मेदारी भी किसकी है तेरी है
15:37तु ही आकर किस्टैंड ठीक भी कर
15:40मैं बता नहीं छोड़ दूँगा
15:44लुगों के कम्यूनिटी पर आते है
15:51अचा अरे जी आपको साथ महीने से सुन रही हूँ
15:55आपकी सारी बाते सब समझ में आती है
15:58आ एक ही बात तो आप बोल रहों ना कि प्रकतिस्थों के जी हो
16:02सारी बात हमें समझ में आती है लेकिन फिर भी हमारी जिंदी की नहीं बदली
16:06अब मैं उनका खुलता हूँ परसंटेज देखता हूँ
16:10कभी माइनस चौबेस है
16:12कभी माइनस दो है कभी अठारा है
16:15कभी पौने दो है
16:17और दावा क्या है आपकी सारी बाते
16:21दीदी अपनी प्रजाती की लाज रखो
16:29तुम होमो सेपियंस कहलाती हो
16:35सेपियंस से आशे होता है
16:39बुद्धिमान
16:45वहाँ लिख रही है साथ महीने से सारी बात समझ में आती है
16:48सारी बात समझ में आ रही है
16:50तो ये धाई और 4 और 18 ये परेसंटेज कहां से आ गया
16:54हम इसको बता रहे हैं
16:59आपने को लटने ही तो बताया है नब प्रकृतिस्थ हो के जीओ
17:02अब मैं पूरी तरह प्रकृतिस्त हो गई हूँ
17:04मैंने क्या हो गई हो
17:06क्या कर डाला
17:10डर लगता है पढ़के
17:12मेरे नाम पर पता नहीं क्या चल रहा है का लख़वार में छपेगा
17:16और कुछ
17:25चीक
17:29क्या हुआ है

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