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00:00तो ये गांचा और भांग और धतूरा और LSD ये सब होस्लों में ये सब खूब चलता है
00:06तो ये रोने लग जाता है, कोई हसने लग जाता है, कोई गाने लग जाता है
00:10कोई ऐसी बात बोल देता है जो आमतार पर नहीं बोलता
00:12तो लोगों लगता है तो फिलोसफर हो गया, यह सूरज नहीं है, यह मेरी मा की पीतल कि थाली है, तो चांद नहीं है, वो मेरी बहन का कटोरे जैसा गोल-गोल गोरा-गोरमू है, वा फिलोसफर हो गया, फिलोसफर हो गया, आदमी अकेला जीव है जिसे नशा चाहिए, क्यों
00:42झाल झाल