Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 5/20/2024
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से सोमवार को जारी 12वीं कक्षा के परिणाम में परीक्षकों ने अंक देने में जो उदारता बरती है, वैसी संभवत पहले नहीं दिखी। कोरोनाकाल के फार्मूलों को छोड दिया जाए तो आम तौर पर राजस्थान बोर्ड की परीक्षाओं को पास कर 90 पार कर जाना इतना आसान नहीं होता। इन परिणामों में जिलों का औसत उत्तीर्ण प्रतिशत 97 पार देखा गया, वहीं कई विषयों जैसे कृषि, यहां तक कि हिंदी अंग्रेजी भूगोल जैसे विषयों में शत प्रतिशत अंक आए। कुछ समय से बोर्ड ने भी सीबीएसई की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर 20 अंक सत्रांक के देने शुरू कर दिए इससे उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ जरूर गया, लेकिन ज्ञान का स्तर अपेक्षाकृत नहीं बढ़ा। सरकारी स्कूलों में सीमित संसाधन, इंफ्रास्टक्चर, स्टाफ को सरकारी अन्य कार्यों आदि में व्यस्तताओं के चलते शिक्षण प्रभावित होता है, लेकिन सत्रांक से विद्यार्थी की अंक तालिका ठीक नजर आती है।

इस पर सोचने की जरूरत है। सीबीएसई ने कुछ विषयों में प्रश्न पत्रों के प्रकार बदले, प्रतियोगी परीक्षाओं के लायक बनाने की तैयारी शुरू की है। राजस्थान बोर्ड को भी अंकों के साथ ज्ञान से भी विद्यार्थी को समृद्ध करना पड़ेगा। प्रथम श्रेणी अंक का अर्थ पूरी किताब कंठस्थ है, लेकिन क्या ऐसा हकीकत में है। वास्तविक मूल्यांकन होना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं में आसानी हो पढ़ाई का ढांचा ऐसा बनाया जाए।
- विमल प्रसाद अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, माशिबो

Category

🗞
News
Transcript
00:00 [SIDE CONVERSATION]
00:03 [SIDE CONVERSATION]
00:06 [SIDE CONVERSATION]
00:10 [SIDE CONVERSATION]
00:13 [SIDE CONVERSATION]
00:16 [SIDE CONVERSATION]
00:19 [SIDE CONVERSATION]
00:22 [SIDE CONVERSATION]
00:25 [SIDE CONVERSATION]
00:28 [BLANK_AUDIO]

Recommended