Saiwa Art Society - Khalil Ur Rehman Qamar | Hum Naghma Serra Kuch Gha..

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خليل الرحمن قمر | بم نغمہ سرا کچھ غزلوں کے | مشاعرہ |

جولائی 2023 खलीलुर्रहमान क़मर | हम नग़मा सरा कुछ ग़ज़लों के | मुशायरा | जुलाई 2023

We are bringing literary sessions under the "Saiwa Art Society" platform to promote Urdu and Punjabi poetry's cultural vitality.

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Transcript
00:00याद है पहले रोज कहा था बिछड गए तो माउज उड़ाना
00:05वापस मेरे पास ना
00:10जब कोई जाकर वापस आए रोए तडपे या पछ्टाए
00:16मैं फिर उसको मिलता नहीं साथ दुबारा चलता नहीं
00:22दुम जाता हूँ, खो जाता हूँ, मैं पत्थर का हो जाता हूँ
00:32ऐसा बैठा लिख रहा था, मैं लिख तो ड्रामा ही रहा था
00:35लेकिन मैंने मुझे लगा कि मुझे सुबह जाना है तो मैं कुछ लिखूँ
00:40और है हरान कुण बात ये है
00:42कि मैंने वो कुछ लिखने की कोशिस की जो मैं पहले कभी नहीं लिखा
00:46मैं अपनी जिंदगी के इस वक्त जिस मायूसी से गुजर रहा हूँ अपने मुलक के हवाले से
00:56वो मेरे दोस्त की शायरी से भी चलक निकली
01:02और शर्म आती हम लोगों को जो गैरतमन कहलवाते हैं
01:05और हमने ये मन्जर अपनी आकों के सामने देखा है
01:08हम वो बदनसीब कौम हैं
01:10जो हमेशा कुर्बानी देने के लिए किसी और नसल का इंतजार करते रहते हैं
01:14तो किसी जमाने में मैंने दो अशार कहे थे
01:20और मुझे इन्हीं मालून था ये क्यों कहे थे
01:22आज वो खुदा की किसम सौप फिसदी
01:27जो मेरे मुल के हालात हैं उसके लिए पर साधिक आते हैं
01:51बखश दे आँख के महवर को नया जर्फ तलाश
01:55मन्जिलें मुझ को न दे ढूंढने वाला करते
02:00आज के दिन का घटा टोप अंधेरा तो टले
02:08कल किसी शब्स से कहेंगे के उचाला करते हैं
02:12तो मैं पढ़ने की कोशिश करता हूँ के बड़ा यह अपना लिखा
02:21मसे भी कम-कम पढ़ा जाता है तो छोटी सी नर्द थी जो
02:26मैं चाहता था कि लंबी हो जा लेकिन मैं फिर रुख गया कि
02:31मैने भी घ़र जाना है पिछली नसलों की बुस्दिली
02:37ने मसलहत का सबग दिया था मैं पढ़ गया हूँ मैं डर गया हूँ
02:53पिछली नसलों की बुस्दिली ने मसलहत का सबग दिया था
03:03मैं पड़ गया हूँ, मैं डर गया हूँ
03:11मैं अपने हाकिम की खुद सरी से
03:15मैं अपने हाकिम की खुद सरी से
03:19बेवफाईस से दपका सहमा
03:23पाबे जंजीर घर गया हूँ
03:28मैं अपने हाकिम की खुद सरी से
03:32बेवफाईस से दपका सहमा
03:35पाबे जंजीर घर गया हूँ
03:38मैं डर गया हूँ
03:43मैं अपने हाकिम की खुद सरी से
03:47बेवफाईस से दपका सहमा
03:50पाबे जंजीर घर गया हूँ
03:53मैं डर गया हूँ
03:54अपने लोगों ने माओ भेणों के सर की चादर उतार डाली
04:06अपने लोगों ने माओ भेणों के सर की चादर उतार डाली
04:13तो मैंने घरत भी मार डाली
04:15मैं खुद से उस तिन मुकर गया हूँ
04:19मैं डर गया हूँ
04:25मुझ जसे आदमी गालमिया ये है कि मैं भी डर गया हूँ भाई
04:30मैंने ये मन्जर नहीं देखा था अपनी साथ
04:33मुझ जसे आदमी गालमिया ये है कि मैं भी डर गया हूँ भाई
04:37मुझ जसे आदमी गालमिया ये है कि मैं भी डर गया हूँ भाई
04:40मैंने ये मन्जर नहीं देखा था अपनी जन्दरी में
04:44कि कोई बर्श सर्याम मेरे खातिन की सरुं की चादरें छीन लेगा
04:53इस से इसलामी जमुरिया पकिस्तान में होगा
04:57ख़ैर
04:58आप लोगों से अरस करूँ
05:04क्रेटिव लोग कभी बड़े चोटे नहीं होते
05:07ये बात अपने दिमाग में डाल के रखे लेगा
05:11वो कम या ज्यादा मशूर होते हैं
05:15मैं आप में सिर्फ वो हूँ जो थोड़ा जादा मशूर हो गया हूँ
05:18एक नजम जो
05:21जिस पर घर लोटकर मेरी वो हुई के लाहव अकबर
05:26वो सुनाता हूं आपके
05:29तो आपके लिए करते हैं
05:32तो आपके लिए करते हैं
05:35तो आपके लिए करते हैं
05:38तो आपके लिए करते हैं
05:41तो आपके लिए करते हैं
05:43तो आपके लिए करते हैं
05:46तो आपके लिए करते हैं
05:49तो आपके लिए करते हैं
05:52तो आपके लिए करते हैं
05:55तो आपके लिए करते हैं
05:58तो आपके लिए करते हैं
06:01तो आपके लिए करते हैं
06:04तो आपके लिए करते हैं
06:07तो आपके लिए करते हैं
06:09तो आपके लिए करते हैं
06:12तो आपके लिए करते हैं
06:15तो आपके लिए करते हैं
06:18तो आपके लिए करते हैं
06:21तो आपके लिए करते हैं
06:24तो आपके लिए करते हैं
06:27तो आपके लिए करते हैं
06:30तो आपके लिए करते हैं
06:33तो आपके लिए करते हैं
06:35बाबा
06:37बाबा
06:39मेरी आड़ट पे
06:41बर्सों से जो महंगे दाम बिकता है
06:43बाबा
06:45मेरी आड़ट पे बर्सों से
06:47जो महंगे दाम बिकता है
06:49वो तेरे घम का सौदा है
06:51बाबा
06:53मेरी आड़ट पे
06:55बर्सों से जो महंगे दाम बिकता है
06:57बाबा
06:59मेरी आड़ट पे बर्सों से
07:01जो महंगे दाम बिकता है
07:03वो तेरे घम का सौदा है
07:05बाबा
07:07मेरी आड़़ट पे बर्सों से
07:09जो महंगे दाम बिकता है
07:11बाबा
07:13मेरी आड़़ट पे बर्सों से
07:15जो महंगे दाम बिकता है
07:17बाबा
07:19मेरी आड़़ट पे बर्सों से
07:21जो महंगे दाम बिकता है
07:23बाबा
07:25मेरी आड़़ट पे बर्सों से
07:27जो महंगे दाम बिकता है
07:29बाबा
07:31मेरी आड़़़ट पे बर्सों से
07:33जो महंगे दाम बिकता है
07:35बाबा
07:37मेरी आड़़़ट पे बर्सों से
07:39तुम्हारी बाद चड़ जाए
07:41तो बातें बेच देता हूँ
07:43जरूरत कुछ ज्यादा हो
07:45तो यादें बेच देता हूँ
07:53तुम्हारी बाद चड़ जाए
07:55तो बातें बेच देता हूँ
07:59जरूरत कुछ ज्यादा हो
08:01तो यादें बेच देता हूँ
08:03तुम्हारे नाम के सदके
08:05बहुत पैसा कमाया है
08:09नई गाड़ी खरीदी है
08:11नया बंगला बनाया है
08:15तुम्हारे नाम के सदके
08:17बहुत पैसा कमाया है
08:21नई गाड़ी खरीदी है
08:23नया बंगला बनाया है
08:25मगर क्यूं मुझको लगता है
08:27मगर क्यूं मुझको लगता है
08:29मेरे अंदर का बियोपारी
08:31तुम्हीं को बेच आया है
08:41मैं बिजनस्मैन हूँ जानम
08:43मैं बिजनस्मैन हूँ जानम
08:57आखिर मैं सुनाता हूँ
08:59चला जाओंगा न तो
09:05ये लोह एश्क पर लिखा है
09:07तेरे शहर के लोग
09:11ये लोह एश्क पर लिखा है
09:13तेरे शहर के लोग
09:15वफा से जीत भी जाएं
09:17तो हार जाएं
09:21ये लोह एश्क पर लिखा है
09:23तेरे शहर के लोग
09:25वफा से जीत भी जाएं
09:27तो हार जाएं
09:31वो जिनके हाथ में कागज की कश्टियां हूँगी
09:35वो जिनके हाथ में कागज की कश्टियां हूँगी
09:39सुना है चंद वही लोग पार जाएं
09:45वो जिनके हाथ में कागज की कश्टियां हूँगी
09:47सुना है चंद वही लोग पार जाएं
09:53किताब जर्फ महब्बद पे हाथ रह के कहो
09:57सवाल जान का आया तो बार जाएं
09:59किताब जर्फ महब्बद पे हाथ रह के कहो
10:01सवाल जान का आया तो बार जाएं
10:03किताब जर्फ महब्बद पे हाथ रह के कहो
10:05सवाल जान का आया तो बार जाएं
10:07किताब जर्फ महब्बद पे हाथ रह के कहो
10:09सवाल जान का आया तो बार जाएं
10:11किताब जर्फ महब्बद पे हाथ रह के कहो
10:13सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी
10:15सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:17सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:19सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:21सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:23सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगा
10:25सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगा
10:27सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:29सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगा
10:31सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:33सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगा
10:35सजूद एश्क में ये रस्मे बंदगी होगी
10:37सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:39सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:41सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:43सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:45सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:47सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:49सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
10:51सरों को मिंबर मक्तल पे वारना होगी
11:19यही बासता रहा
11:21बिछड़े हुओं में नाम तिरा ढूंता रहा
11:25लिख तो दिया के आज से तुम मिरे नहीं
11:29लिख तो दिया के आज से तुम मिरे नहीं
11:34लेकिन कसम से हाथ मिरा कांफता रहा
11:38वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव
12:08वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव, वाव
12:39खिलाफ शर्त अना था वो खाब में भी मिले
12:44मनीद नीद को तरसा मगर नहीं सोया
12:48खिलाफ मौसमें दिल है कि थंब गई बारिश
12:53खिलाफ हुर्मत गम है कि मैं नहीं रुया
13:03वो एक शेर है अच्छा लगता है मुझे वो दिल जलों के लिए
13:08एक सामाने आसूदगी है
13:12फिर यूँ के तेरे बाद
13:22मुझे याद आ जाता तो सुनाता हूं
13:29फिर यूँ के तेरे बाद की कहानी है मुख्तसर
13:35और दिखेगा कितनी मुख्तसर है
13:38फिर यूँ के तेरे बाद की कहानी है मुख्तसर
13:42फिर यूँ के तेरे बाद हम तुम्हारे नहीं रहे हैं
13:54मतलब ये के भूला नहीं हूं
14:00मतलब ये के भूला नहीं हूं
14:04ये भी नहीं के याद आते हूं
14:08पहले सबसे पहले तुम थे
14:12अब तुम सब के बाद हैं
14:28दो दो चार चार अशार के तीस दो सुनाता हैं
14:31फिर एकाद गजल सुना मैं चला जाना जाना है
14:34दो दो चार चार अशार के लिए सुनाता हूँ फिर एकाद गजल सुनाँगा चला जाओंगा
14:41इस बार दोस्ती में बड़ा हाथसा हुआ
14:52जो जख्म मुंदमिल था वो भी हराख हुआ
14:58मैं भी तलाशे दोस्ते लौटा हूँ ना मुराद
15:04वो भी मेरे करीब मुझे ढुन्टता रहा हूँ
15:10एक अजल के कुछ अशार
15:14मसाफित कभी नहीं परवाद
15:20एक अजल के कुछ अशार
15:25मसाफित कभी मन्जिल का तायुन नहीं करती
15:37इस राह में बस पाउं के च्छाले नहीं जाते
15:43उन तिष्णा लबों को है मेरे खुण से निस्पत
15:49पत्थर जो मेरी संत उचाले नहीं जाते
15:55इस वास्ते उस शक्स से कहना था कि ना जा
16:01इस वास्ते उस शक्स से कहना था कि ना जा
16:07कोई छोड़ के जाए तो हवाले नहीं जाते
16:13इस वास्ते उस शक्स से कहना था कि ना जा
16:19कोई छोड़ के जाए तो हवाले नहीं जाते
16:23इस वास्ते उस शक्स से कहना था कि ना जा
16:29कोई छोड़ के जाए तो हवाले नहीं जाते
16:33दिल से मुझे रगबत थी मेरे दोस्त वगरना
16:38तूटे हुए शीशे तो सभाले नहीं जाते
16:43रहते हैं मेरी आंक में कुछ खाब मुझस्सम
16:51बुद्ध हैं कि जो काबे से निकाले नहीं जाते
17:03एक नसु
17:17गुलाब लेकर शराब लेकर मैं उसके हूटों को लिख रहा हूँ
17:25अगर वो पलकें उठा रहा है नजर नजर से मिला रहा है
17:31तो मैं गुलाब लेकर शराब लेकर मैं उसके हूटों को लिख रहा हूँ
17:38अगर वो पलकें उठा रहा है नजर नजर से मिला रहा है
17:46अगर वो पलकें उठा रहा है नजर नजर से मिला रहा है
17:53तो मैं कशो ये अजाब क्यूं है शराब खाना उदास क्यूं है
18:00उसे कहो के इधर तो देखे मैं उसकी आँखों को लिख रहा हूँ
18:07मैं लिख रहा हूँ के उसका चहरा खुदा का हुसने कमाल होगा
18:15मैं लिख रहा हूँ के उसका चहरा खुदा का हुसने कमाल होगा
18:21वो जन्नतें जब बना रहा था उसी का दिल में खयाल होगा
18:28मैं लिख रहा हूँ के उसका चहरा खुदा का हुसने कमाल होगा
18:35वो जन्नतें जब बना रहा था उसी का दिल में खयाल होगा
18:41उसी के जल्मों की ताप लेकर मैं चांद चहरों को लिख रहा हूँ
18:47शराब गुलाब लेकर शराब लेकर मैं उसके हुंटों को लिख रहा हूँ
18:53एक वो नजब सुनाता हूँ और एक वो गजल सुनाता हूँ और फिर मुझे जादध देती जेगा
18:58याद है पहले रोज कहा था फिर न कहना गलती दिल की
19:10प्यार समझ के करना गड़की प्यार निभाना होता है फिर पार लगाना होता है
19:20याद है पहले रोज कहा था साथ चलो तो पूरे सफर तक मर जाने की अगली खबर तक
19:32समझो यार खुदा तक होगा सारा प्यार वफा तक होगा फिर ये बंधन तोड न जाना
19:45छोड गये तो फिर न आना छोड दिया जो तेरा नहीं है चला गया जो मेरा नहीं है
19:55याद है पहले रोज कहा था या तो तूट के प्यार न करना
20:03याद है पहले रोज कहा था या तो तूट के प्यार न करना या फिर पीठ पे वार न करना
20:13जब नादानी हो जाती है नई कहानी हो जाती है नई कहानी लिखलाऊंगा अगले रोज मैं विक जाओंगा
20:25तेरे गुलजब खिल जाएंगे मुझको पैसे मिल जाएंगे
20:30याद है पहले रोज कहा था बिछड गए तो माउज उड़ाना वापस मेरे पास नाओ
20:45जब कोई जाकर वापस आये रोये तडबे या पछताए मैं फिर उसको मिलता नहीं
20:55साथ दुबारा चलता नहीं हूँ दुम जाता हूँ खो जाता हूँ मैं पत्थर का हो जाता हूँ
21:09और आखिर गजल जो मेरी कबर का कतबा है बसियत करें
21:16मैं खाहिशों के अजाब लेकर चला गया हूँ
21:22मैं खाहिशों के अजाब लेकर चला गया हूँ
21:27वो दिल वो खाना खराव लेकर चला गया हूँ
21:33मैं छोड कर अपनी राह तकती उदास आंखें
21:42जो बच गये थे वो खाब लेकर चला गया हूँ
21:47जिस पे मैंने महबबतों की वही लिखी थी
21:52जिस पे मैंने महबबतों की वही लिखी थी
21:57वो एक मम्लूं किताब लेकर चला गया हूँ
22:02बस एक अजल को सुना गया हूँ जो दासतां थी
22:05मैं जिन्दगी से हिसाब लेकर चला गया हूँ
22:10मैं काफिलों को दिखा गया हूँ निशान मन्जिल
22:15मैं काफिलों को दिखा गया हूँ निशान मन्जिल
22:20मैं रास्तों के सराब लेकर चला गया हूँ
22:25उन्हें कहो कि मैं ढूंडने से नहीं मिलगा
22:29उन्हें कहो कि मैं ढूंडने से नहीं मिलूँगा
22:34मैं गर्दिराह की नकाब लेकर चला गया हूँ

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