क्या पितृदोष लगता है? इनकी वास्तविकता क्या है और पितृ की तृप्ति के लिए क्या करना चाहिए?
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00:00पितर देव होते हैं या नहीं? अगर वो होते हैं तो उनकी तुरिप्ती के लिए क्या किया जायें?
00:29सच्मुच है पित्रू अपना राग वेश के हिसाब हमारे साथ पूरा करके देव छोड़के चले गए
00:35या कोई नडने के लिए नहीं आएगा
00:37और पित्रू नड़ेगा ही नहीं हमें
00:39क्यों अपने बच्चे को बच्चे के बच्चे को नड़े?
00:41यह गलत मान्यता है
00:43सच्मुच उपरवाला कोई नडने वाला नहीं
00:45पित्रू दोश सर्पदोश सब
00:47उसके बदले
00:49बगवान, माविर, कृष्ण बगवान सभी ने
00:51अपने कर्म पूरे किये हिसाब में आये
00:53कोई दोडे नहीं
00:55शास्त्र अपना जोतिष में
00:57पित्रू दोश सर्पदोश
00:59समाधान करने के तुरुप्थी के लिए
01:01इतना समझ लेने का किसी का दोश नहीं
01:03हमने कर्म बांदे हैं
01:05हमें कर्म के फल भुगतने पड़ेंगे
01:07समता भाव से पूरे करेंगे
01:09पर समता भाव के लिए
01:11ग्यान की बहुत चाविया मिल जाएगी
01:13ग्यान की जागरती से
01:15समता भाव से कर्म फल पूरे भी होईंगे
01:17और धिरे धिरे कर्म खत्म भी
01:19होते जाएंगे
01:21दरने की ज़रुबत नहीं
01:23पित्रू दोश ये तो दूसरे लोग बताएंगे
01:25पित्रू दोश का तुरुप्ती का सब
01:27नारायन बली चड़ाना पड़ेगा
01:29पैसे मांते हैं क्या?
01:31पैसे सब जगे
01:33तो फिर समद लेने का
01:35द्यापारी है
01:37उगर अक्कुई छोड़े
01:39हमें समद नाज़िये कि सचमुच
01:41हमें ही बुगतना पड़ेगा
01:43पर हमें कोई कर्म के दन्ड के लिए
01:45पित्रू है, कोई प्रेतात्मा है
01:47कोई देख देने वाला है नहीं है
01:49सचमुच कोई नहीं है
01:51हमारा हिसाब हमें बुगतना पड़ेगा
01:53हम संभाव क्यान में रहे के पुरा करेंगे कर्मा
01:55तो हम छुटेंगे कर्मस से