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सत्य क्या है? सत्य को कैसे जाना जा सकता है? वास्तविक सत्य और सापेक्ष सत्य के बीच क्या अंतर है? पूज्यश्री दीपकभाई से जानते हैं की रियल (वास्तविक) सत्य क्या है और मनुष्य जीवन का ध्येय क्या होना चाहिए|
Transcript
00:00सथ्य क्या है? और सथ्य को कैसे जाना जा सक Info. Tמהsh.org
00:06सथ्यं दो पृकार की बात हैं .. एक relative सत्य है
00:09relative हैं ,नहीं विनाशिक स्त्य
00:12उस्त्रा अविनाशी स्त्य है
00:14उसको सत् coriander बोला जाता है
00:15सत् आने eternal तिरी काल स्त्य
00:18विनाशी है शास्वत है।
00:20और रिलेटिव सत्य
00:22यह मेरी वाइफ है, मैं पती हूँ,
00:24मैं संत हूँ, मैं गुरू हूँ,
00:26मैं पिता हूँ, वो सब रिलेटिव है,
00:28वो टेमपररी है,
00:30विनाशी है।
00:32रिलेटिव सत्य में दो होता है,
00:34सत्य, असत्य.
00:36जो हम मानते है यह सत्य है,
00:38दूसरे की अपेक्षास है,
00:40वो सत्य भी हो सकता है.
00:42और रिल सत्य में,
00:44लाखों ग्ञानियों का एक ही मत है,
00:46वो रिल सत्य हमेशा त्रिकाल सत्य,
00:48वो हमेशा सत्य ही रहता है,
00:50अन्या सत् बोला जाता है,
00:52सत चीत आननद में सत शब्द है,
00:54वो सत् याने त्रिकाल सत्य है,
00:58वो शाश्वत है,
01:00और उसमें कभी विरोदापास नहीं है,
01:02उसमें सच्चा जुठा भी नहीं है,
01:04यह रिलेटिव में सब सच्चा जुठा बोलता है,
01:06और जिसको हम सत्य मानते है,
01:08दूसरा विरोदापास में नेगिटीव होगा,
01:10मैंने यह सत्य है,
01:12तो वहाँ एजस्ट्मेंट लेना है,
01:14दादा जी हमेशा बताते थे,
01:16मैं बोलू कि आज चौदस है,
01:18वो बोलेगा नहीं, पूनम है,
01:20तो हम खीचा-खीच करेंगे,
01:22तो चौदस की पूनम हो जाएगी,
01:24और हमारा जगड़ा बाखी रहेगा,
01:26दादा जी क्या बता है,
01:28भै देखो आज पूनम नहीं,
01:30चौदस है, एक बार बात करेंगे,
01:32दूसरी बार विनंति करेंगे,
01:34नहीं सोचो आप, यह तेरस गई,
01:36अब यह चौदस आई है,
01:38तुम लोग समझते नहीं है,
01:40तो थर्ड टाइम क्या करने का,
01:42आप करक्ट हैं, मन में कहने का,
01:44बाई आपका जगड़ा पूनम,
01:46वो चंद्रमा की चौदस पूनम,
01:48हम क्यों जगड़ा करें,
01:51जिस चीज़ के लिए हम जगड़ा करते हैं,
01:53वो चीज़ इदर रह जाएगी,
01:55हम छोड़ के चले जाएगे,
01:57भाई भाई प्रोपर्टी के लिए,
01:58नहीं, मेरा पापा ने मेरे लिए किया था,
02:00तुम मेरे नहीं, नहीं करता है,
02:02अरे भाई यह रिलेटिव है,
02:04जगड़ा मत करो, वैर मत बांदो,
02:06रिलेटिव सत्य है,
02:07रिलेटिव सत्य के लिए पकड मत पकडो,
02:09आगरम मत रखो,
02:11क्योंकि विनाश ही है,
02:12थोड़ी देर के बाद विनाश हो जाएगा,
02:15और हमारा गुणा लग जाएगा,
02:17और रियल सत्य,
02:18मालुम ही नहीं मनुष्यों को,
02:20तो प्राप्ति भी कैसे करेगा,
02:22ओ लक्ष में रखना जाये,
02:23कि मेरा आत्मा,
02:24ओ रियल सत्य है,
02:25मुझे ओ प्राप्त करना है,
02:27वो ही बगवान है,
02:28वो ही इश्वर है,
02:29वो ही परमात्मा,
02:30वो मेरे अभीतर है,
02:31मेरे अभीतर है, वो ही स्वरुप मुझे अनुभव करना है।
02:35अनुभव करना है, वो लक्ष, साक्षातकार करना है, वो लक्ष में रखना चाहिए।
02:39तो फिर रिलेटिव सत्य, जब ये दे हो गया, तो रिलेटिव सत्य के लिए कोई जगडा नहीं रहेगा उसको।
02:46पक्षा पक्षी, मत बेद, मत मत आंतर, कोई तकलीफ नहीं रहेगा।
02:50डखेड, डखल, डखा, डखा, डखल, कुछ नहीं रहेगा उसके।
02:54ये रिलेटिव सत्य हो, रिलेटिव की डी वेलियो हो जाती उसको।
02:58टेंपररी है उसमें क्या पकड़ पकड़ना, जगडा करना।