सवाईमाधोपुर. केन्द्र सरकार ने भले ही किसानों को लाभ देने की मंशा से सम्मान निधि योजना शुरू कर दी हो मगर नियमों के भंवरलाल में फंसे किसानों को सरकार की किसान पेंशन योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उधर, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में जिले में 2019 के बाद एक भी किसान को लाभ नहीं मिला है।
जिले में ही नहीं बल्कि देशभर के लाखों किसान ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ से वंचित है। नियमों की पेचिदगियों में उलझे किसानों ने पिछले 6 सालों में पेंशन लेने के लिए कई बार आवेदन किए लेकिन उनके आवेदन हर बार निरस्त हो गए हैं। इसका कारण है सरकार ने इस योजना में वर्ष 2019 से पूर्व का किसान होना अनिवार्य माना है। प्रतिवर्ष बंटवारे होने पर हजारों नए किसान परिवार बन रहे हैं लेकिन जमीन होने के बाद भी सरकार उन्हें किसान नहीं मान रही है।
प्रतिवर्ष देय थी छह हजार रुपए पेंशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी। योजना में किसानों को प्रति वर्ष तीन किस्तों में छह हजार रुपए पेंशन दी जाती है। सरकार ने योजना बनाते समय 2019 से पूर्व किस का होना आवश्यक रखा है। उसके बाद बने किसान परिवार इस योजना से दूर हो गए है। हालांकि अब सरकार ने यह राशि बढकऱ आठ हजार रुपए कर दी है।
मालिक होने के बाद भी पात्रता से बाहर
रोजाना खेत खरीदे व बेचे जा रहे है। ऐसे में सवाईमाधोपुर जिले में हजारों किसान ऐसे है जो खेत मालिक होने के बाद भी योजना की पात्रता से बाहर है। 2019 से पूर्व के कई बड़े काश्तकार पेंशन उठा रहे है, जबकि उसके बाद के छोटे काश्तकार नियमों की उलझन में हक गवां रहे है।
केवल वारिसों को लाभ
केन्द्र सरकार ने योजना में वर्ष 2019 के बाद केवल उन्हीं किसानों को पात्र मान रही है जो केवल वारिसा के मामले में भूमि मालिक बने हैं। अगर किसी पिता ने अपने पुत्र के नाम जमीन करवाई है, तो उसे भी किसान नहीं माना गया है। योजना आने के बाद किसानों ने फाायदा लेने के लिए जमीन के बड़े मात्रा में बंटवारे कराए लेकिन लाभ एक किसानों को भी नहीं मिला।
महिलाओं को भी नहीं लाभ
इस योजना में महिलाओं की संख्या नगण्य है। वारिस के मामलों में जब तक महिलाएं हक त्याग नहीं करें तब तक उनकी भूमि उनकी भी भूमि में खातेदारी होती है। उन्हें नियम अनुसार योजना में पात्र भी माना जाता है लेकिन भी माना जाता है लेकिन विवाहित महिलाओं को पेंशन स्वीकृति में अकारण हटा दिया जाता है।
इनका कहना है...
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में सरकार ने वर्ष 2019 से पूर्व का किसान होने की गाइडलाइन जारी कर रखी है। ऐसे में बड़ी तादाद में किसानों को इस योजना से वंचित रहना पड़ रहा है। सरकार नियमों में संसोधन करें तभी यह संभव है।
विनोद शर्मा, नायाब तहसीलदार, सवाईमाधोपुर
नियमों में संशोधन करें सरकार
हजारों किसान इस योजना से वंचित है, उन्हें लाभ दिलाने के लिए सरकार नियमों में संशोधन करना चाहिए। जो खातेदार एवं किसान है उनके लिए वर्ष की बाध्यता समाप्त किया जाए। सरकार को इसके लिए नई गाइडलाइन जारी करनी चाहिए।
लटूर सिंह गुर्जर, प्रांत मंत्री भारतीय किसान संघ, सवाईमाधोपुर
जिले में ही नहीं बल्कि देशभर के लाखों किसान ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ से वंचित है। नियमों की पेचिदगियों में उलझे किसानों ने पिछले 6 सालों में पेंशन लेने के लिए कई बार आवेदन किए लेकिन उनके आवेदन हर बार निरस्त हो गए हैं। इसका कारण है सरकार ने इस योजना में वर्ष 2019 से पूर्व का किसान होना अनिवार्य माना है। प्रतिवर्ष बंटवारे होने पर हजारों नए किसान परिवार बन रहे हैं लेकिन जमीन होने के बाद भी सरकार उन्हें किसान नहीं मान रही है।
प्रतिवर्ष देय थी छह हजार रुपए पेंशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी। योजना में किसानों को प्रति वर्ष तीन किस्तों में छह हजार रुपए पेंशन दी जाती है। सरकार ने योजना बनाते समय 2019 से पूर्व किस का होना आवश्यक रखा है। उसके बाद बने किसान परिवार इस योजना से दूर हो गए है। हालांकि अब सरकार ने यह राशि बढकऱ आठ हजार रुपए कर दी है।
मालिक होने के बाद भी पात्रता से बाहर
रोजाना खेत खरीदे व बेचे जा रहे है। ऐसे में सवाईमाधोपुर जिले में हजारों किसान ऐसे है जो खेत मालिक होने के बाद भी योजना की पात्रता से बाहर है। 2019 से पूर्व के कई बड़े काश्तकार पेंशन उठा रहे है, जबकि उसके बाद के छोटे काश्तकार नियमों की उलझन में हक गवां रहे है।
केवल वारिसों को लाभ
केन्द्र सरकार ने योजना में वर्ष 2019 के बाद केवल उन्हीं किसानों को पात्र मान रही है जो केवल वारिसा के मामले में भूमि मालिक बने हैं। अगर किसी पिता ने अपने पुत्र के नाम जमीन करवाई है, तो उसे भी किसान नहीं माना गया है। योजना आने के बाद किसानों ने फाायदा लेने के लिए जमीन के बड़े मात्रा में बंटवारे कराए लेकिन लाभ एक किसानों को भी नहीं मिला।
महिलाओं को भी नहीं लाभ
इस योजना में महिलाओं की संख्या नगण्य है। वारिस के मामलों में जब तक महिलाएं हक त्याग नहीं करें तब तक उनकी भूमि उनकी भी भूमि में खातेदारी होती है। उन्हें नियम अनुसार योजना में पात्र भी माना जाता है लेकिन भी माना जाता है लेकिन विवाहित महिलाओं को पेंशन स्वीकृति में अकारण हटा दिया जाता है।
इनका कहना है...
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में सरकार ने वर्ष 2019 से पूर्व का किसान होने की गाइडलाइन जारी कर रखी है। ऐसे में बड़ी तादाद में किसानों को इस योजना से वंचित रहना पड़ रहा है। सरकार नियमों में संसोधन करें तभी यह संभव है।
विनोद शर्मा, नायाब तहसीलदार, सवाईमाधोपुर
नियमों में संशोधन करें सरकार
हजारों किसान इस योजना से वंचित है, उन्हें लाभ दिलाने के लिए सरकार नियमों में संशोधन करना चाहिए। जो खातेदार एवं किसान है उनके लिए वर्ष की बाध्यता समाप्त किया जाए। सरकार को इसके लिए नई गाइडलाइन जारी करनी चाहिए।
लटूर सिंह गुर्जर, प्रांत मंत्री भारतीय किसान संघ, सवाईमाधोपुर
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