छुट्टा पशुओं और पक्षियों से परेशान किसानों ने इजाद की पटाखा गन

  • 4 years ago
कहते हैं की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है और इसका नजारा इन दिनों जनपद गाजीपुर में देखने को भी मिल रहा है कि जो किसान आवारा पशुओं और नीलगाय के आतंक से परेशान थे उन किसानों को एक ऐसा गन मिल गया है जिसके लिए ना तो कोई लाइसेंस की जरूरत है और ना ही उसकी कीमत लाखों और हजारों में है बल्कि यह गन नौजवानों के दिमाग की खुराफात से निकले एक आईडिया की है जो मात्र ₹300 में बनकर तैयार हो गया और इस गन को फायर करने में भी मात्र प्रति फायर एक से ₹2 का खर्च आता है और किसानों को खेतों की रखवाली की बजाए सुकून की नींद लेने को आजादी मिल गई है।
खानपुर क्षेत्र के फरीदहा में किसानों ने अपने खेतों से पशुओं को भगाने के लिए 'गन मशीन' का निर्माण किया है। गन मशीन के तेज धमाके वाली आवाज से एक किलोमीटर दूर तक के पशु खेतों से दूर भाग रहे है और रात्रि के समय यह जुगाड़ू गन काफ़ी दूर तक सुनाई देती है। फरीदहा के एमबीए डिग्री प्राप्त युवक आशुतोष सिंह ने लॉकडाउन में घर आने के बाद किसानों की समस्या देख द्रवित हो गये और किसानों के खेतों से घुमंतू पशुओं को भगाने के लिए गनमशीन बनाकर किसानों को निःशुल्क वितरित कर रहे है। आशुतोष सिंह कहते है कि मात्र तीन सौ रुपये की लागत से सस्ती गन बनाकर किसान अपने खेतों की रखवाली कर सकते है। इसे चलाने के लिए मटर के दाने बराबर कार्बाइड के टुकड़े को एक ढक्कन पानी की आवश्यकता है। गनमशीन के माध्यम से किसान खेतों से दूर बैठकर भी जानवरों को भगा रहे है। गाज़ीपुर सहित चंदौली आजमगढ़ और जौनपुर से आकर किसान इस गन की मांग कर रहे है और बनाने की विधि सीख रहे है। उन्होंने बताया कि इस गन को बनाने के लिए घरो में पानी की निकासी वाले पाइप और गैस जलाने वाले लाइटर की सहायता से आसानी से बनाया जा सकता है। और इस गन के फायर से आवाज़ असली बंदूक से भी कही अधिक होती है। जिसकी आवाज़ सुनने के बाद अब उनके गांव के खेतों से जानवर कोसो दूर भाग जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब उनके गांव के किसान अपने खेतों में शाम को सूरज डूबने के बाद चार से पांच फायर करते है। और फिर उन्हें पूरी रात उन जानवरो से खेत की रखवाली करने की जरूरत नही पड़ती।उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि इस साल दीपावली में उनके गांव के युवा पटाखे की बजाय इसी गन का प्रयोग करने की बात कह रहे है।

Recommended