चेन्नई. राज्य में जून का मानसून, चक्रवात फेंगल और अभी पूर्वोतर मानसून की बारिश किसानों के साथ राज्य के जलाशयों के लिए भी संजीवनी साबित हुई है। जून से पहले सूखे पड़े जलाशयों में पानी भर गया है। जितनी बारिश इस वर्ष 1 अक्टूबर के बाद हुई है, वह अभी तक खेती किसानी से लेकर जलाशयों तक के लिए बेहतर रही है। इसकी वजह से राज्य के 53 जलाशयों की पूरी तस्वीर ही बदल गई है। 1 अक्टूबर से पूर्वोत्तर मानसून की शुरुआत के बाद से भारी बारिश ने तमिलनाडु के जलाशयों को पूरी क्षमता के करीब भर दिया है, लेकिन बुधवार को चेन्नई और आसपास के जिलों में और बारिश का अनुमान से चिंता बढ़ गई है। मौसम विभाग ने तटीय जिलों में भारी बारिश जारी रहने का अनुमान लगाया है, जिससे जलस्तर और भी बढ़ सकता है।
12 जलाश्य लबालब
मंगलवार को राज्य के जलाशयों में जल भंडारण स्तर उनकी कुल क्षमता 224.297 हजार मिलियन क्यूबिक फीट से केवल 12 प्रतिशत कम रहा। तमिलनाडु जल संसाधन विभाग ने बताया कि 12 जलाशय - कोयम्बत्तूर क्षेत्र में तीन, मदुरै क्षेत्र में सात और चेन्नई क्षेत्र में दो- पूरी क्षमता तक पहुंच गए हैं। इसके अतिरिक्त 18 जलाशयों में भंडारण क्षमता 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जबकि 23 जलाशयों में जलस्तर 70-80 प्रतिशत के बीच है। तमिलनाडु के सबसे बड़े मेट्टूर स्थित स्टेनली जलाशय में अभी अपनी क्षमता का 97.51 प्रतिशत पानी है जो कुल 93.470 टीएमसी क्षमता में से 91.146 टीएमसी है।
भंडारण क्षमता में वृद्धि
बांध में 7,368 क्यूसेक पानी आया और 1,300 क्यूसेक पानी मंगलवार तक नीचे की ओर छोड़ा गया। इस बीच, सथानूर जलाशय का जलस्तर 117 फीट पर है, जो इसके पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) 119 फीट से थोड़ा कम है। तमिलनाडु के जलाशयों में संचयी जल संग्रहण 195.455 टीएमसी है, जो इसे पूर्ण क्षमता से 24.824 टीएमसी कम बनाता है। उत्तर-पूर्वी मानसून के सक्रिय चरण के पिछले ढाई सप्ताह में हुई भारी बारिश ने राज्य के 90 जलाशयों में पानी के प्रवाह में वृद्धि की है, जिससे भंडारण स्तर 10.68 प्रतिशत अंक बढ़कर 76.46 प्रतिशत से 87.14 प्रतिशत हो गया है।
कई जिलों में टैंक भर गए
तेनकाशी, तेनी, विरुदनगर, अरियलूर, तिरुचि, करुर, पुदुकोट्टै और रामनाथपुरम जैसे जिलों में भारी बारिश ने जल स्तर को और बढ़ा दिया है। चक्रवात फेंगल के प्रभाव से कई उत्तरी जिलों में भारी बारिश हुई जिससे टैंक और जलश्रोत तेजी से भर गए। तिरुवण्णामलै में 697 में से 507 टैंक अब भरे हुए हैं। तिरुवल्लूर में 578 में से 359 टैंक, कल्लकुरची में 336 में से 227 टैंक और चेंगलपेट में 564 में से 460 टैंक भरे हुए हैं। वहीं चक्रवात के कारण आई बाढ़ ने विल्लुपुरम सहित उत्तरी जिलों में कई टैंक और जलश्रोतों को नुकसान पहुंचाया। कुछ टैंकों से पानी छोड़ना पड़ा जिससे वे इष्टतम भंडारण स्तर तक नहीं पहुंच पाए।
ग्रीष्मकाल की चिंता कम हुई
ग्रामीण इलाकों के अधिकांश जलाशय खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी दिए जाने के लिए भूजल स्तर को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, परंतु जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम भराव आगामी ग्रीष्मकालीन के लिए खतरे की घंटी होती है। राज्य में पिछले कुछ महीनों में हुई जोरदार बारिश से किसानों को वर्तमान खरीफ धान में पानी को लेकर चिंता खत्म हुई है। वहीं मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में ही बारिश की संभावना है।
12 जलाश्य लबालब
मंगलवार को राज्य के जलाशयों में जल भंडारण स्तर उनकी कुल क्षमता 224.297 हजार मिलियन क्यूबिक फीट से केवल 12 प्रतिशत कम रहा। तमिलनाडु जल संसाधन विभाग ने बताया कि 12 जलाशय - कोयम्बत्तूर क्षेत्र में तीन, मदुरै क्षेत्र में सात और चेन्नई क्षेत्र में दो- पूरी क्षमता तक पहुंच गए हैं। इसके अतिरिक्त 18 जलाशयों में भंडारण क्षमता 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जबकि 23 जलाशयों में जलस्तर 70-80 प्रतिशत के बीच है। तमिलनाडु के सबसे बड़े मेट्टूर स्थित स्टेनली जलाशय में अभी अपनी क्षमता का 97.51 प्रतिशत पानी है जो कुल 93.470 टीएमसी क्षमता में से 91.146 टीएमसी है।
भंडारण क्षमता में वृद्धि
बांध में 7,368 क्यूसेक पानी आया और 1,300 क्यूसेक पानी मंगलवार तक नीचे की ओर छोड़ा गया। इस बीच, सथानूर जलाशय का जलस्तर 117 फीट पर है, जो इसके पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) 119 फीट से थोड़ा कम है। तमिलनाडु के जलाशयों में संचयी जल संग्रहण 195.455 टीएमसी है, जो इसे पूर्ण क्षमता से 24.824 टीएमसी कम बनाता है। उत्तर-पूर्वी मानसून के सक्रिय चरण के पिछले ढाई सप्ताह में हुई भारी बारिश ने राज्य के 90 जलाशयों में पानी के प्रवाह में वृद्धि की है, जिससे भंडारण स्तर 10.68 प्रतिशत अंक बढ़कर 76.46 प्रतिशत से 87.14 प्रतिशत हो गया है।
कई जिलों में टैंक भर गए
तेनकाशी, तेनी, विरुदनगर, अरियलूर, तिरुचि, करुर, पुदुकोट्टै और रामनाथपुरम जैसे जिलों में भारी बारिश ने जल स्तर को और बढ़ा दिया है। चक्रवात फेंगल के प्रभाव से कई उत्तरी जिलों में भारी बारिश हुई जिससे टैंक और जलश्रोत तेजी से भर गए। तिरुवण्णामलै में 697 में से 507 टैंक अब भरे हुए हैं। तिरुवल्लूर में 578 में से 359 टैंक, कल्लकुरची में 336 में से 227 टैंक और चेंगलपेट में 564 में से 460 टैंक भरे हुए हैं। वहीं चक्रवात के कारण आई बाढ़ ने विल्लुपुरम सहित उत्तरी जिलों में कई टैंक और जलश्रोतों को नुकसान पहुंचाया। कुछ टैंकों से पानी छोड़ना पड़ा जिससे वे इष्टतम भंडारण स्तर तक नहीं पहुंच पाए।
ग्रीष्मकाल की चिंता कम हुई
ग्रामीण इलाकों के अधिकांश जलाशय खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी दिए जाने के लिए भूजल स्तर को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, परंतु जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम भराव आगामी ग्रीष्मकालीन के लिए खतरे की घंटी होती है। राज्य में पिछले कुछ महीनों में हुई जोरदार बारिश से किसानों को वर्तमान खरीफ धान में पानी को लेकर चिंता खत्म हुई है। वहीं मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में ही बारिश की संभावना है।
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