"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00बस अब बहुत हुआ अब मैं ये सब और बरदाश नहीं कर सकती बिना किसी गलती के आज तक मैंने इतना सब कुछ भुखता है लेकिन अब नहीं ऐसी जिन्दगी जीने से अच्छा है कि मैं अपनी जान दे दू
00:10हाँ हाँ तो इसमें इतनी सोचने वाली क्या बात है ये रही ग्रिल और कुछ जा ओपर से कम से कम हमारी जिन्दगी का काटा तो हट जाएगा
00:18तुमने जो किया वो सही नहीं किया भगवान तुमें इसके लिए कभी माप नहीं करेगा उसके घर देर है अंधेर नहीं वो तुमें जरूर सजा देगा
00:26अगर तुम्हारा ये प्रवचन हो गया हो तो तुम अब अपनी जान दे सकती है वो क्या है ना हमारा टाइम बहुत ज्यादा कीमती है तुम जैसी के लिए अपने टाइम की बरबादी नहीं कर सकते
00:36प्रग्या चौते माले की ग्रिल के पास खड़ी होती है
00:39प्रग्या की आँखों से आसू नहीं रुक रहे थे
00:41प्रग्या की तो मानो जिंदगी खत्म हो चुकी थी
00:44प्रग्या को अपने सामने से एक ही रास्ता देख रहा था
00:47जो मौत का था
00:48प्रग्या उस ग्रिल से कूदने वाली होती है कि तबी वहां रोशन नाम का लड़का आता है और प्रग्या को जोर से आवाज देते हुए रोकता है
00:54रुख जाओ प्रग्या, यह तुम क्या कर रही हो? एक कदम भी अपने आगे मत बढ़ाना
00:59मैं जो कर रही हूँ, वो बिल्कुल सही कर रही हूँ, अब मेरे सामने और कोई रास्ता नहीं बचा
01:04प्रग्या भग्वान के लिए वहीं रुक जाओ, अगर तुम यहां से कोदी तो तुम बच नहीं पाओगी
01:08बचना किसको है, मेरी जिन्दगी तो अब खत्म हो चुकी है, मेरा अब कोई नहीं इस मौत के अलावा
01:14इतना कहकर प्रग्या ग्रिल पर खड़ी हो जाती है और कूदने के लिए अपना कदम बढ़ाने लगती है
01:19आखिरकार प्रग्या की जिन्दगी में ऐसा क्या हुआ था, जो आज उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ रहा था
01:24कौन था ये रोशन जो उसे रोकने की कोशिश कर रहा था
01:28इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे आखिरकार क्या कारण था
01:31इसे जानने के लिए हमें तक्रीबन दो महीने पीछे जाना होगा
01:35ये लो तुम और खाओ
01:41मैं तब तक तुम्हारे पापा को चाई दे कर आती हूँ
01:44चाई का कप लिए प्रग्या अपने कमरे में जाती है
01:46ये सफेज शर्ट क्यों पहनी है? मैंने आपके लिए काले रंग की शर्ट प्रेस करके रखी थी
01:52जिन्दगी में तेरी वज़ा से क्या कमा दे रहा है? जो मैं ये काले रंग की कपड़े पहनना भी शुरू कर दूँ
01:57तुझ मनहूद से शादी करके मेरी जिन्दगी और अधिरे में चली गई है
02:00अपने पती अंशुमन की ऐसी बाते सुन प्रग्या की आँखों में आसु आ जाते हैं दरसल
02:06अंशुमन और प्रग्या की शादी अंशुमन की स्वर्गवासी मा माला ने करवाई थी
02:10प्रग्या रंग रूप से काली थी लेकिन मा के दबाव के कारण अंशुमन को प्रग्या से शादी करने पड़ती है
02:15माला के गुजर जाने के बाद अंशुमन प्रग्या से काफी नफरत करने लगा था
02:20अंशुमन प्रग्या को इस घर में सिर्फ अपने बेटे की वज़ से रहने दे रहा था
02:23ऐसे ही समय गुजरता है प्रग्या हर रोज की तरह हॉल में बैट कर अपने बेटे
02:27चिराग का स्कूल का होमबग करवा रही होती है कि तब ही घर की दोर बेल बच्चती है
02:31प्रग्या जैसे ही घर का दर्वाजा खोलती है तो उसके बैरो तले जमीन खिसक जाती है
02:35प्रग्या के सामने उसका पती अंशुमन एक गोरी लड़की के साथ हाथों में हाथ डाले शादी के जोड़े में खड़ा था
02:40ऐसे क्या देख रही है चल हट हमारे रास्ते से
02:43अंशुमन ये सब क्या है आप कोई मजाग कर रहे हैं ना मेरे साथ बोलिए ना ये जो मैं देख रही हूँ वो सच नहीं है
02:50जो तुझे देख रहा है वो ही सच है आखरकार मैं कब तक तुझ जैसे काली के साथ रहकर अपनी जिदिगे बरबाद करता
02:56इससे पहले प्रग्या अंशुमन को कुछ कहती अंशुमन उस गोरी लड़की का हाथ पकड़े अपने कमरे में चला जाता है
03:02बेचारी प्रग्या दर्वाजे पर ही अपने घुटने टेक रोने लगती है जिससे बेटा चराग उसके पास आता है
03:07अंशुमन ने जिस गोरी लड़की से शादी की थी वो गोरी लड़की कोई और नहीं बलकि प्रग्या की छोटी बेहन चांदनी ही थी
03:30अपनी ही गोरी बेहन को अपनी सौतन बनता देख प्रग्या की तो मानो जैसे सारी दुनिया ही उचड़ गई हो
03:35अंशुमन डालिंग हमारे कमरे में इस काली कलूटी का सामान क्यों रखा हुआ है
03:41इसका सामान बाहर निकाल फेको
03:43मेरी जिंदगी में आकर मेरे पती को मुझे छीन लिया
03:46और अब मेरे कमरे से मेरा सामान बाहर निकालने की बात करियो
03:50तुम जैसी बेहन तुम बेहन के नाम पर कलंग है
03:52अंचुमन की बाते सुन प्रग्या कुछ नहीं कह पाती
04:10और अपना सामान लेकर अपने बेटे के साथ नीचे रहने के लिए चली जाती है
04:14अब जहां एक मकान में नीचे काली बहु रह रही थी
04:17वहीं उपर उसकी गोरी सौतन रहने लगती है
04:19ऐसे ही कुछ समय गुजरता है और भाईदूज का तेओहार आने वाला होता है
04:23मा मुझे टीचर ने भाईदूज पर ऐसे लिखने के लिए कहा है
04:28मेरी थोड़ी मदद करो न
04:30ठीक है बेटा लिखो कि भाईदूज के दिन प्रग्या अपने बेटे चिराग का भाईदूज पर ऐसे लिखने में मदद कर रही होती है
04:38मा आप भी तो हर साल मामा के साथ भाईदूज बनाती हो तो क्या इस साल नहीं बनाओगी
04:43इस साल मामा मौसी के साथ भाईदूज बनाएंगे
04:46मामा जी भी मौसी जी की तरह बुरे बन गए और हमें छोड़ दिया
04:50नहीं चिराग बेटा ऐसा नहीं है
04:52हर साल की तरह इस साल भी मैं भाया के साथ भाई दूज जरूर बनाओंगी
04:57मुझे हर कोई छोड़ सकता है लेकिन मेरे भाया नहीं
04:59ये कहते हुए प्रग्या की आंखों से आंसु टपकने लगते हैं
05:03ऐसे ही कुछ दिन और गुजरते हैं दो दिन बाद भाय दूज आने वाला होता है
05:06और जसके चलते प्रग्या अपने बेटे चुराग के साथ भाय दूज के पकवान बना रही होती है
05:11मा पितनी सारी मिठाइयां पकवान मामा जी के लिए बना रही हो ना
05:16उनने ये सब बहुत पसंद है
05:18हाँ मेरी राजा बेटे दो दिन बाद भाय दूज है ना इसलिए मैं ये मिठायो नमकीन पकवान बना रही हूँ
05:24बहिया को ये सब बहुत पसंद है
05:26हम जल्दी से बाजार चलेंगे और तुम्हारे मामा जी को भाय दूज पर देने के लिए गिफ्ट खरीदने चलेंगे
05:31गिफ्ट का नाम सुनकर चिराख खुशी के मारे उचलने लगता है और अपनी मा की थोड़ी बहुत मदद भी करता है
05:36प्रग्या नीचे चिराख के साथ हासी खुशी थी कि तभी वहाँ प्रग्या की गोरी सौतन चांदनी आती है
05:42हाँ हाँ बना लो ये पकवान लेकिन इसका कोई फायदा नहीं अब तक इस घर में सिर्फ तुम भाईदूज बना रही थी लेकिन अब से इस घर में सिर्फ मेरा भाईदूज बनेगा तुम्हारा नहीं
05:52चांदनी की ऐसी बाते सुन प्रग्या को बहुत दुख पहुँचता है लेकिन वो बिचारी कर ही क्या सकती थी
05:57ऐसे ही दो दिन गुजरते हैं आज भाई दूज का तेओहार होता है जहां काली बहु भाई दूज के दिन सुबा सुबा उठकर नहाध होकर तयार होती है और आर्थी की थाली तयार कर अपने भाई के आने का इंतजार करती है
06:09आप यहां नीचे क्या कर रहे हो चलो ना मूपर चलते उपर से ग्रिल से हम मामा जी को देखेंगे
06:16चिराक की बात मान प्रग्या उपर ग्रिल पल चली जाती है कि तभी प्रग्या की सौतन चांदनी महंगी सी साड़ी नेर सारे गहने पहन कर हाथों में सुन्दर सी आर्थी की थाली लिया आती है
06:25तुम यहां क्या कर रही हो तुमसे कहा गया था ना कि तुम यहां उपर अपना कदम भी नहीं रखोगी
06:31आज भाईदुज अना इसलिए मम्मी मेरे साथ मामा का इंतिजार कर रही है
06:35क्या कहा तुमने तुम भी भाईदुज बनाओगे इस बार
06:39और प्रग्या तुम कितनी ज्यादा बेवकूफ हो, इतना सब कुछ होने के बाद भी तुम भाई दुछ कैसे बना सकती हो, तुम्हें क्या लगता है भाईया तुमसे प्यार करते हैं, बच्पन से लेकर आज तक उन्होंने हर चीज में मुझे आगे रखा, मुझे से प्यार क
07:09बैठी थी और अपनी जान देने के लिए जा रही थी, ग्रिल से कूद नहीं वाली थी कि तबी रोशन प्रग्या का हाथ पकड़ कर उसे खीच लेता है, तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है, अगर मैं एक सेकंड भी लेट होता तो तुम यहांसे गिर कर मर सकते
07:39नाइन साफियों से बताती है, अरे भाईया आप क्यों इस काली कलूटी के साथ अपना समय वरबात कर रहे हैं, चलिए हम भाई दूच का त्योहार मनाते हैं, यह देखिए मैं तो आपको गिफ्ट में देने के लिए आपकी मन पसंद घड़ी भी लेकर आई हूँ, इतना कह
08:09जादा लाड प्यार किया, तेरी हर खौईशों को पूरा किया, लेकिन मैं नहीं जानता था कि मैं यह गलती इस दिन को अंजाम देगी, मैं तुझे जादा प्यार करता था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तेरी की हुई गलतियों पर मैं परदा डालूँगा, एक बेहन होक
08:39प्रग्या आखों में खुशी के आसूल यह अपने भाई के साथ भाई दूच का त्योहार मनाती है, मैं चांदनी को भी अपनी गलती का एहसास होता है, लेकिन यह एहसास इतनी देरी से हुआ था कि अब वह चाह कर भी कुछ नहीं बदल सकती थी, कहते हैं एक बेहन दूसर
09:09भी बताएए