"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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FunTranscript
00:00बेटा, सास उसी बहु से खोश होती है, जो कम पैसों में घर चलाना जानती हो और जिसके हाथों में जादू हो
00:07रहने दो मा, तुमने मेरी शादी कोई करोड़ पती घर में नहीं किये, जो मुझे ऐसी बाते समझा रही हो
00:13आप से अच्छे तो सिमरन के घर वाले हैं, जो उन्हें उसकी शादी अपने से भी ऊचे घर में किये, आपकी तरह थोड़ी न, अपने बराबर के घर में रिष्टा जोड़ दिया
00:22दिव्या और सिमरन दोनों ही दोस्त थे, पर दिव्या गरीब घर से थी, और उसकी शादी भी मिरल क्लास में होती है, तो वहीं अमीर सिमरन की शादी अमीर खर भी, जिस वज़ा से दिव्या थोड़ी चुड़ी रहती है, और शादी के बाद जब उसकी पहली रसोई होती ह
00:52अरे कम लोग हैं तो क्या
00:55आज हमारी पहली रसोई हैं
00:57हम अपनी पहली रसोई में कुछ अच्छा तो बनाई सकते हैं
00:59इसलिए मैं तो अपनी पहली रसोई में
01:01पुलाओ, पराठे, पूरी, पनी, छोले,
01:03मिक्सवेजो और रायता बना रही हो
01:05ये तो बहुत अच्छी बात है, अच्छा मैं रखती हूँ
01:07दिव्या से बात करके सिम्रन फून रख देती है
01:10और दिव्या अपनी सास की पास जाती है और अपने खाने की लिस्ट बताती है
01:13जिस पर सुमित्रा अपनी बहु से कहती है
01:15बहु घर में हम सिर्फ चार लोग है चार लोग के हिसाब से एक खाना तो बहुत ज्यादा है
01:20कुछ ज्यादा नहीं है और जब मेरी दोस्ट चार लोगों में चार तरह के आइटम बना सकती है
01:25तो क्या में पांच-छे आइटम नहीं बना सकती
01:27मा बनाने दोना अगर भावी का मन है तो
01:30ठीक है बहू
01:31सास से पर्मिशन लेकर दिव्या अपनी अमीर दोस को दिखाने के लिए उससे ज्यादा खाना बनाती है
01:36पर सिमरन को कोई फर्क नहीं पड़ता
01:38अब इसी तरह कुछ दिन बीच जाते और महले में घर में सजाने के लिए काँच का शोपीस और कर्टन बीचने वाला आता है
01:44बहू विंडो के लिए और डोर के लिए ये वाले पर्दे अच्छे हैं ना
01:48मा देखो ना ये मूर्ती और कच्छुए कितने प्यारे लग रहे हैं ये भी ले लो
01:51आच्छ ठीक है ले ले बहू जारा सूरज से पैसे तो लेकर आना
01:55अपनी अमीर दोस्त और उसके परिवार को महंगे समान लेता देख अब दिव्या भी अपनी अमीर दोस्त को दिखाने के लिए अपनी साथ से कहती है
02:02मा जी आप इतनी देर से पर्दे देख रही हो अपने घर के सारे पर्दे कितने पुराने हो गए
02:07एक परदा आप भी ले लीजे
02:09देखे आशा अंडी ने कितना सारा सामान लिया है
02:11बहु आशा को जरूरत थी इस ले लिया
02:14पर हमारे घर में तो पहले से ही रखे हुए परदे
02:16हम क्या करेंगे लेकर
02:18माजी ये सारे परदे पुराने हो गए हैं
02:20बहु परदे ही तो हैं
02:22मैं बेर कभी ले लूँगी
02:23वैसे भी इनसान को उतना ही पैर फैलाना चाहिए
02:26जितनी उनकी चाधर हो
02:27सुमित्रा सबके सामने
02:30अपनी बहु की बात काट देती है
02:31दिव्या को बहुत कुछ सा आता है
02:33और वो मुँ बनाकर अंदर चली जाती है
02:35इस तरह कुछ दिन बीत जाते हैं
02:37और एक सुभा जब दिव्या की आँख खोलती है
02:39तो वह अपने कमरे की बैलकनी से
02:41अपने अमीर दोस्त और उसके पती को
02:42सामान गाड़ी की डिग्गी में रखता देख
02:45उसे आवास देती है
02:46इतना बोलकर सुरज डिग्गी में सामान रखकर
03:01सिम्रन के साथ गाड़ी में बैठ जाता है
03:03और ये देख दिव्या अपने पती से बोलती है
03:04अपने पडोसन से कुछ सीखो
03:07एक महीना हुआ नहीं कि दोनों पती पतनी
03:09हानिमून के ले जा रहे है
03:10और आप मुझे आज तक घर से बाहर भी नहीं ले कर गए
03:13अरे शहर से बाहर ना सही
03:15कम से कम शहर ही घुमा दो
03:16दिव्या तुम क्यों अपनी अमीर दोस्ते हलसा में
03:19कंपैरिशन करती हो
03:21हम उनकी बराबरी नहीं कर सकते
03:22अगर फिर भी तुम्हें घूमना है
03:24तो शाम को मैं घर जल्दी आ जाओंगा
03:26फिर हम साथ मूवी देखने चलेंगे
03:28मुझे नहीं देखनी तुम्हारे साथ मूवी
03:31खुद ही चले जाना
03:32एक बार फिर दिव्या अपने पती से नाराज हो जाती है
03:35समय यूँ ही गुजरता है और देखते ही देखते
03:37छे महीने बीत जाते हैं
03:39ऐसे ही एक दिन
03:39अरे ओ सुमित्रा बहन काजल बितिया कहां है
03:43उसकी कोई दोस्त है जो की फैशन डिजाइनर है
03:45उससे कहो ने सरा मेरी बेटी के लिए एक सूट बना दे
03:48आशा बहन अभी तो वो घर में है नहीं
03:51शाम को आएगी तो मैं उससे कह दूँगी
03:53अध्यान से कह देना ठीक है मुझे उसकी सिलाई बहुत पसंद है
03:56आशा सूट का कपड़ा देके वहां से चली जाती है
03:59और शाम को काजल कुछ ड्रेस सिल कर घर आती है
04:01और अपनी भावी को देते हुए कहती है
04:03भावी आप तो जानती है मेरी दोस्त फैशन डिजाइनर है
04:06मैं उसी से सिलाई सीख रही हूँ
04:07देखो मैंने आपके लिए अनारकली सूट सिलाई
04:09एक बार पहन के बताओ कैसा बनाए
04:11मुझे नहीं पहना तुमारे हाथों का बना कपड़ा
04:13कोई बात नहीं बेटा
04:15अगर तेरी भावी नहीं पहनना चाहती है तो इसे तू ही पहन ले
04:18दिव्या की बाते काजल को काफी बुरी लगती है
04:20पर सुमित्रा इस बात को संभाल लेती है
04:22और तभी वहाँ अपनी दोस्त से मिलने
04:24सिम्रन अपनी नंद के साथ आती है
04:26जो काजल के हाथों में कपड़ा देख
04:28उसके कपड़ों की काफी तारीफ करती है
04:30वाव काजल ये ड्रिस तुमने बनाई है
04:33कितनी प्यारी लग रही है
04:34भावी मैंने तो आपसे पहले ही काथा
04:36कि काजल बहुत अच्छे कपड़े बनाती है
04:38इसलिए तो मैं अपने सारे कपड़े काजल को ही देती हूँ सिलने के लिए
04:40सिम्रन और करिश्मा की बाते सुनकर
04:43काजल को काफी अच्छा लगता है
04:44और इसी तरह समय गुजरता है
04:46और एक दिन दिव्या अपनी अमीर दोस्त से मिलने
04:48उसके घर जाती है
04:49जहां सिम्रन दिव्या से कहती है
04:51दिव्या मैं तो बहुत खुश हूँ
04:53अगले हफते हमारी फर्स्ट एनिवर्सरी और मेरे ससुराल वाल हुने
04:56इसकी पूरी तियारी भी कर लिए
04:58कैसे न करते तियारी
05:00तुम्हें पता है दिव्या
05:01मैंने तो सूच लिया है
05:03हम अपने घर में ही छोटी सी पार्टी रखेंगे
05:05और सिम्रन को इतनी प्यारी ड्रेस पर्चेस करवाएंगे
05:08कि बस उस दिन सबकी नजरें दिव्या पर ही ठीकी रहेंगे
05:10वैसे तुम्हारी भी तो एक हफते बाद एनिवर्सरी आ रही है
05:14तो दिवाकर ने क्या प्लान किया है तुम्हारे लिए
05:16उन्होंने मुझे कुछ बताया नहीं है
05:18पर मुझे यकीन है मेरे ससुराल वालों ने भी बहुत अच्छा प्लान किया होगा
05:21और सर्प्राइस बता दिया जाए तो वो सर्प्राइस कैसा
05:24इस तरह दिव्या बड़ी-बड़ी बाते करके अपने घर आकर लड़ने लगती है
05:28हम दोनों की शादी साथ में हुई थी अगले हफ़ते मेरी भी अनिवर्सरी है
05:32पर इस घर में तो किसी को याद ही नहीं
05:34मेरी अमीर दोस्त के घर वाले उन्होंने सब कुछ प्लान कर लिया
05:37और आज वो मेरी दोस्त को बड़े-बड़े शोरूम और मॉल लेकर जाने वाले है
05:40उसे उसकी पसंद की ड्रेस दलवाने
05:42और आप लोग हैं कि कुछ सोच भी नहीं रहे
05:45दिव्या सबसे नाराज होकर अपने कमरे में चली जाती है
05:47जिसके बाद सुमित्रा अपनी बेटी के साथ
05:49मार्केट जाती है और वहां से कुछ कपड़े और सिलाई का सामान लेकर घर आती है
05:53और अपनी बेटी से कहती है
05:54काजल अमितने अमीर नहीं कि तेरी भावी को मॉल के कपड़े दिलवा सके
05:58सुमित्रा के बोलने पर काजल अपनी दोस के साथ घर आती है
06:05और उसके साथ बैट कर खुद अपनी भावी के लिए
06:07एक डिजाइनर गाउन बनाती है
06:09देखते ही देखते हैं
06:10एनिवर्सरी का दिन आ जाता है
06:11दिवाकर अपने घर को अपने हाथों से सजाता है
06:14और बाहर से कुछ केक और दिव्या की पसंद का खाने का सामान लाता है
06:17तो वहीं सिम्रन के घर अच्छी खासी डेकुरेशन होती है और केटरिंग वाले आते हैं
06:21साथ ही कुछ महमान भी हो और कुछ ही देर में सिम्रन एक प्यारा सा गाउन पहन कर
06:25सीड़ियों से नीचे उतरती हैं और सभी महमान उसकी ड्रेस देखकर काफी दारीफ करते हैं
06:30भाहू तम इस ड्रेस में किसी परी से कब नहीं लग रही
06:34परी तो लगेंगी ही मेरी भावी आखिर मेरी पसंद की जो ड्रेस पहनी है नोने
06:38इसके लिए तो आपको मा जी से और करिश्मा से ही बात करनी होगी
06:47अच्छा करिश्मा आज दिव्या की शादी की सालगिरा है मैं उसे सालगिरा विश करके आती हूँ
06:52जब तक तुम यहां पाटी संभाल लेना इतना बोलकर सिम्रंदिव्या के घर जाती है
06:56मार्केट से 100 रुपे का कपड़ा लाकर आपने काजल की दोस्त से मेरे लिए गाउन बनवा लिया
07:03इससे आप डिजाइनर कपड़ा बोलती है मुझे नहीं पहना ये घडिया सा कपड़ा और नहीं मुझे आप लोगों का इस सर्प्राइस पसंद आया
07:09तिव्या सर्प्राइस तो सर्प्राइस होता है तू ऐसा क्यों बोल रही है और क्या खराबी इस ड्रेस में तुम्हारी ये गाउन मेरे गाउन से भी ज्यादा सुनद है
07:17अगर मुझे पता होता कि तुम्हारी ससुराल वाली तुम्हें इतना प्यारा ड्रेस देंगी तुम्हें काजल को ही बोलती मेरी सालगिरा की ड्रेस बनाने के लिए
07:24तुम यहां सालगिरा पर मेरी गरीबी का मजाग बनाने आई हो
07:29अगर तुम्हें मेरी ड्रेस से ज़ादा तुम्हारी ड्रेस पसंद आई न तो मैं अपनी ड्रेस तुमसे एक्सचेंज कर लूँगी
07:42सिम्रुन के फोर्स करने पर दिव्या वो ड्रेस पहन कर बाहर आती है और सभी की आँखे फटी की फटी रह जाती है
07:47बहु तु ये मत सोचना कि हम तेरा दिल रखने के लिए कह रहे है पर तुम्हें अच्छी लग रही है कोई कह नहीं सकता कि तुम्हें ड्रेस फैमली से है
07:55आंटी जी रहने दीजे हमारी बातों पर इसे विश्वास नहीं होगा हम बाहर चलते हैं
08:00सिम्रन अपने दोस का हाथ पकड़कर बाहर जाती है उर जैसे ही वो बाहर जाती है गली की कुछ और्टे
08:04और सिम्रन के घर आए महमान उन दोनों की ड्रेस देख सिम्रन की ड्रेस की तारीफ ना करके दिव्या से उसकी ड्रेस के बारे में पूछने लगते हैं
08:12अरे बहु, तुम इतनी अमीरों में को भी बताया नहीं?
08:15बताओ, सिम्रन बहुतनी अमीर है, फिर भी उसकी ड्रेस, तुमारी ड्रेस के सामने भीत की पड़ गई है.
08:19मैं तो सिम्रन से पूछी रही थी कि उसने कॉंसे शोरूम से ड्रेस लिया पर मेरी नजर तो तुम्हारे गाउन पर ही टिक गई
08:25आप लोगों को सच में मेरी ड्रेस इतनी ज़्यादा पसंदा रही है
08:28वैसे ये ड्रेस मेरी सास और नंद ने मुझे गिफ्ट किया है
08:31माजी माफ करना मैंने आपके प्यार की कदर नहीं की
08:34काजल तुमने अपनी दोस के साथ मिलकर इतनी मेहनत करी और मेरी ड्रेस बनाई
08:38फिर भी मैंने तुम्हारी ड्रेस की इंसल्ट की
08:41दिवाकर जी आप सही कहते थे
08:43जरूरी नहीं कि हम अमीर होकर भी कुछ अच्छा कर सके
08:46सिम्रन थांक्यू मेरी आँख खोलने के लिए
08:49बहु आज तुम दोनों की ही साल गिरा है
08:51ऐसे अच्छे मौके पर दुखी होने से अच्छा है के साथ में सेलिब्रेट करें
08:54उस दिविया की आँखें खुल जाती है और वो सभी से माफी मांगती है
08:58और दोनों दोस्त साथ में अच्छा है