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महिलाओं के सुहाग का त्यौहार करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह त्योहार सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है। दिल्ली स्थित शक्तिपीठ काल्का जी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने करवा चौथ की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, "रविवार, 20 अक्टूबर को तृतीया तिथि 6.46 बजे तक है। उसके उपरांत चतुर्थी तिथि का शुभारंभ हो जाएगा। इसलिए करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय 7.40 बजे होगा...।"

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00:00कार्टिक क्रिश चतुर्ति के दिल सुहागल हिस्त्रियां करवा चौत का वरत रखती हैं
00:08वो दिन पूरे दिरों प्वास रखते हुए संध्या के समय चंद्रिवान को अर्ग देकर अपरे वरत का पारण करती हैं
00:15करवा चौत का वरत इस बाद 20 अक्टुबर को रखा जाएगा
00:25क्योंकि 20 अक्टुबर रह्युवार के दिल कृतिया तुति 6 बज़कर 46 मिलेट तक है
00:31उसके उपरार्ण चतुर्ति तुति का शुमारं हो जाएगा
00:35इसलिए करवा चौत का वरत 20 अक्टुबर को ही मनाया जाएगा
00:42इस दिल चंद्रमा हैं वो 7 बज़कर 40 मिलेट पर निकलेंगे
00:48उस समय जो सुभागर इस्त्रियां चंद्रमा को अर्ग देकर अपने वरत को सम्पून करेंगे
00:55करवा चौत के दिन प्राते काल इस्ट्रियां अपना श्नान करें और श्नान करने के पचार 16 सिंगार अपने करने के बाद एक चोकी बिचाएं
01:06करवा चौत माता का चितर उसमें रखें गनेश जी का चितर उसमें हो उसका भी पूझन सासार किया जाता है
01:18करवा चौत के लिए दो गर्वे रखे जाते हैं और एक कलश की इस्ठापना की जाती है
01:23तलश तामे का हो सकता है या किसी भी धातों का हो सकता है उसमें गंगा जल या पूरे जल सा उसको पूरित करें उसके उपर पंच परलव रखने के बाद सराही रखे अनन से उसको पूरित कर दिया जाता है
01:38उसके एलाबा अर्ग देने के लिए दो कर्वे रखती हैं एक कर्वा चंदर्मा को अर्ग देने के लिए रखा जाता है तो दूसरा कर्वा सुहागे निस्तियों को दान करने के लिए आपस में एक्स्चेंट करती है उसके लिए भी रखा जाता है
01:54उसके लिए धन्धान चावल, गेहु, बाजरा अदी पूरित करते हैं उसके उपर स्राई रखते हैं जो मिष्ठान है वो रखते हैं
02:10सरवपतं गनेश जी को तिलक किया जाता है उसके बाद मातक, चोथ मातक वो भी तिलक आदी करके उनका पूरित किया जाता है
02:37उसके बाद दिन पर उपवास रखते हैं संद्या के समय जो स्वागिन इस्तिरियां अकेले या करबा चोथ माता की कथा है उसके बाद संद्या के समय चंद्र मा को अर्ग देते हैं और अपने जत को संद्यों करते हैं

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